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वैदिक मंत्रोचारण के साथ प्रसिद्ध गंगोत्री तीर्थ के कपाट बंद

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उत्तरकाशी। गंगोत्री गंगा नदी का उद्गम स्थान है। गंगाजी का मंदिर, समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। भागीरथी के दाहिने ओर का परिवेश अत्यंत आकर्षक एवं मनोहारी है। यह स्थान उत्तरकाशी से 100 किमी. की दूरी पर स्थित है। गंगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा द्वारा 18 वी शताब्दी के शुरूआत में किया गया था वर्तमान मंदिर का पुननिर्माण जयपुर के राजघराने द्वारा किया गया था। यमुनोत्री की ही तरह गंगोत्री का पतित पावन मंदिर भी अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर खुलता है और दीपावली के दिन मंदिर के कपाट बंद होते है।

शीतकाल में छह माह तक मां गंगा की भोग मूर्ति के दर्शन श्रद्धालुओं को मां गंगा के मायके मुखीमठ (मुखवा) में स्थित मन्दिर में होंगे । गंगोत्री धाम के श्री 5 मन्दिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल ने बताया कि शुक्रवार सुबह अमृत वेला से ही वैदिक मंत्रोच्चार के साथ ही मां गंगा की भोग मूर्ति का पूजन अर्चन शृंगार किया गया। सुबह 10:00 बजे तक माता के निर्वाण दर्शन भक्तों ने किए और सुबह ठीक 11: 45 पर मुहूर्त अनुसार उत्सव डोली को मार्कण्डेय पूरी के लिए रवाना कर दिया गया।

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