एक कथा के अनुसार प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव सूर्य मंदिर में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी।
घर-घर छठ के सुगवा के मारबो धनुष से…, कोपी कोपी बोलेली छठी मइया…, कांचे ही बांस के बहंगिया… के गीत बज रहे हैं। जिनके घरों में छठ हो रहा है, वहां परिवार के सभी लोग व्यस्त तो हैं ही, जिनके घर में नहीं हो रहा है वह भी अपना सहयोग कर रहे हैं। कोई सफाई काम में साथ दे रहा है, तो कोई खरीदारी में। इसके बाद घर के सदस्य और आम लोग भी इसे ग्रहण किया। इसे छठ का पहला महाप्रसाद भी माना जाता है। लोग घर- घर जाकर प्रसाद भी ग्रहण करेंगे। महिलाएं छठ पूजन सामग्री खरीदती नजर आई। नगर के पलटन बाजार, डिस्पेंसरी रोड, झंडा बाजार में खरीदारी को काफी भीड़ रही। सभी घाट पर छठ पर्व की रौनक साफ दिखाई दे रही है।