
हरिद्वार। हरिद्वार में 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर दी। 13 साल के अदनान की आत्महत्या की घटना ने न केवल परिजनों को बल्कि पूरे समाज को झकझोर रख दिया है। जिसे भी इस घटना के बारे में पता चला, उसका कलेजा थम गया। बेटे के इस कदम से माता-पिता और तीन छोटे भाई बहन बेहोश हैं। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
कुछ दिन बाद होने वाली थी 5वीं की परीक्षाएं
कोई सोच भी नहीं सकता कि इतनी छोटी उम्र का अदनान परीक्षा के तनाव को लेकर इतना बड़ा कदम उठा सकता है। मामला रानीपुर कोतवाली क्षेत्र के गांव दादूपुर गोविंदपुर का है। यहां रहने वाले दिलशाद का बेटा अदनान स्थानीय दुर्ना दीक्षा पब्लिक स्कूल में कक्षा पांच में पढ़ता था। कुछ दिन बाद अदनान की 5वीं की परीक्षाएं शुरू होने वाली थीं, लेकिन परीक्षा से पहले ही वह तनाव में आ गया। परिजनों के अनुसार शनिवार सुबह से ही वह परेशान दिख रहा था। शनिवार दोपहर ढाई बजे वह अपने कमरे में गया और पंखे से फंदा लगाकर उस पर लटक गया। दस मिनट बाद परिजन अंदर पहुंचे तो फंदे पर उसे लटका देखा तो चीख पड़े।
बच्चे को तुरंत पंखे से उतारकर रानीपुर झाल स्थित भूमानंद अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। कोतवाली प्रभारी नरेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि परिजनों से पूछताछ में पता चला कि अदनान की परीक्षाएं शुरू होने वाली थी, जिसको लेकर वह तनाव में था। इस घटना से पूरे गांव में शौक की लहर दौड़ गई है। हर कोई इस घटना से बेहद दुखी है, जिसे भी इस बात की जानकारी वह बेहद हैरान रह गया। हर कोई सोच में पड़ गया कि इतनी छोटी उम्र में आखिर इतना बड़ा कदम कैसे कोई उठा सकता है।
अभिभावक बच्चों पर पढ़ाई का कतई दबाव न डालें। अभिभावकों को बच्चे के साथ दोस्त की तरह व्यवहार करना चाहिए। हर बच्चे की अपनी क्षमता होती है और हर कोई पास होने के लिए ही तैयारी करता है। बच्चे मानसिक अवसाद में आत्मघाती कदम उठा लेते हैं। स्कूल में पढ़ाई के दबाव से यदि बच्चा गुमशुम है, तो अभिभावकों को उसकी निगरानी करने की जरूरत है, ताकि उसे इस दबाव से बाहर निकाला जा सके। मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
डा. राजेश कुमार गुप्ता, सीएमएस मेला अस्पताल