उत्तराखंडसामाजिक

मौत को दावत देती पहाड़ की सड़कें

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यमकेश्वर। यह दुर्भााग्य है पहाड़ का। यहां आए दिन होती ये दुर्घटनाएं पहाड़ की सड़कों की नियति बन चली है। पर इस ओर न विभाग गंभीर है और न यहां की सत्ता के दावेदार। हर बार एक अनहोनी करार देकर दुर्घटनाओं को नजरअंदाज करते रहने का नतीजा है कि आज ये दुर्घटनाएं रुकना के नाम नहीं ले रही हैं।

रोज एक न एक दुर्घटना यहां घटती रहती हैै, पर कभी उसे ओवरलो़डिंग या ब्रेक-स्टेयरिंग जवाब दे जाने का जामा पहना दिया जाता है, तो कभी चालक के नशे में होने या फिर उसे झपकी आ जाने का बहाना बताकर दुर्घटना को रफा-दफा कर दिया जाता है। जबकि हकीकत यह कि दुर्घटनाओं के लिए यहां की खस्ताहाल और जर्जर सड़केंं मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं। यही यहां आए दिन हो रही दुर्घटनाओंं को न्यौता दे रही हैं।  यहां सड़कें हीं दुर्घटनाओं को दावत दे रही हैं, पर हैरानी तब होती है कि जब उन्हीं मार्गों पर सतर्कता व संजीदगी के बजाय घोर लापरवाही बरती जा रही हो। ऊपर से ओवरलोडेड वाहन, अनियंत्रित गति, नशापन, फिटनेस की अनदेखी आदि से वाहन संचाालन बेहद असुरक्षित हो चला है। यहां आवाजाही भगवान भरोसे कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

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