देहरादून। देवभूमि उत्तराखंड में पांचवें धाम सैन्य धाम के शिलान्यास के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सैन्यधाम में 204 शहीद परिजनों का सम्मान किया। उन्होंने सैन्यधाम में शहीदों के आंगन की मिट्टी पर पुष्पांजलि अर्पित की। उत्तराखंड वीरों की धरती है। यह शौर्य पराक्रम की भूमि है। 1971 में ठीक पचास साल पहले सेना के पराक्रम के बूते ही पाक सेना ने आत्मसमर्पण किया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा था कि उत्तराखंड की धरती और पानी में कोई बात है कि अगर इस राज्य को अलग किया जाए तो कोई समस्या नहीं होगी। कैप्टन वरुण सिंह के निधन पर दुख व्यक्त किया और दो मिनट का मौन रखकर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सैन्यधाम में इतने शहीदों के आंगन की मिट्टी लाना कोई आसान काम नहीं है। इस सैन्य धाम में जो भी आएगा, राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना लेकर जाएगा। उत्तराखंड की महान परंपरा के वाहक बिपिन रावत का जाना देश की बड़ी क्षति है। वह दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे। यहां ऑनलाइन भी श्रद्धांजलि की सुविधा होनी चाहिए। 40 साल से वन रैंक-वन पेंशन की मांग की जा रही थी, लेकिन मोदी ने पीएम बनते ही इसे लागू कर दिया।