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भाजपा, कांग्रेस और ‘आप’ तीनों सैनिक वोट के सहारे नैया पार करने की जुगत में

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के एस रावत। उत्तराखंड की सियासत में सैनिकों का अहम रोल है। एक अनुमान के मुताबिक हर पांचवां जवान उत्तराखंड से है और हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में है या फिर उसका सैन्य परिवार से संबंध है। राज्य में सैन्य परिवारों से संबंधित 12 फीसद मतदाता हैं, जो किसी भी राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने का माद्दा रखते हैं। इतना बड़ा वोट बैंक किसी भी पार्टी की राजनीतिक किस्मत चमकाने के लिए काफी होता है। जिसको देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सैनिक और पूर्व सैनिकों को लुभाने में जुटी है।

सैन्य वोटरों पर सबसे पहले और सबसे अधिक फोकस प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले साल नवंबर में केदारनाथ का दौरा कर प्रदेश में पांचवें धाम के रूप में सैन्य धाम बनाने की सलाह तत्कालीन सीएम त्रिवेंद्र को दी थी। प्रदेश की भाजपा सरकार इस रास्ते पर चल पड़ी और देहरादून से सटे गुनियाल गांव में सैन्य धाम का निर्माण शुरू किया। इसके लिए शहीद सम्मान यात्रा निकाली गयी और प्रदेश के 1734 शहीद सैनिकों के आंगन से मिट्टी लायी गयी। इसी मिट्टी से सैन्य धाम की नींव 15 दिसम्बर को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रखी।

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