देहरादून। इस बार दिग्गजों की सीट पर भी मतदान का सूखा रहा। उत्तराखंड में सभी 70 विधानसभा सीटों के लिए सोमवार को हुई वोटिंग में मतदान का प्रतिशत पिछले बार के चुनाव की तुलना में इस बार कम रहा। इस बार खास बात यह रही कि उन प्रत्याशियों की सीट पर भी मतदाताओं ने कोई खास उत्साह नहीं दिखाई, जिन्हें भावी मुख्यमंत्री पद का दावेदार या पार्टी की जीत का कर्णधार माना जा रहा था। इसके अलावा चुनाव आयोग की तरफ से किए गए भारी-भरकम तामझाम भी मतदान बढोत्तरी में कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाये।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में मतदान के प्रतिशत को लेकर देर रात तक असमंजस की स्थिति बनी रही। पहले मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में 62.50% मतदान का दावा किया गया। लेकिन पोलिंग पार्टियों की वापसी से पहले रात्रि ग्यारह बजे के करीब 65.1% मतदान होने का दावा किया गया। उस समय भी यही कहा गया कि सभी आंकड़ों के मिलान के बाद इस प्रतिशत में घटत-बढ़त हो सकती है। बहरहाल यदि 65.10%को ही फाइनल आंकड़ा मान लिया जाए तो मतदान का प्रतिशत वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव से कम रहा। उस समय 65.67% मतदान हुआ था। वर्ष 2012 के चुनाव के 66.85% से भी यह आंकड़ा कम है।