यमकेश्वर। महादेव प्रेम हैं, शिव करुणा हैं, शिव कल्याण के देव हैं और बुराइयों के संहारक भी। महाशिवरात्री पर भगवान महादेव का पूजन भाग्य को भी बदल सकता है। सौभाग्य के इस महापर्व के चार प्रहर में चार बार पूजन और रुद्राभिषेक का विधान है। अगर कोई चार बार पूजन और अभिषेक न कर सके और पहले प्रहर में एक बार ही पूजन कर लें, तो भी उसको कष्टों से मुक्ति मिलना निश्चित है। इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च, मंगलवार को आ रहा है। चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 2 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी।
यह मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव ने देवी सेपार्वती से विवाह किया था। महाशिवरात्रि शिव तत्व का उत्सव मनाने का दिन है। इस दिन सभी साधक और भक्त मिलकर उत्सव मनाते हैं। शिव तत्व यानि वह सिद्धांत या सत्य, जो हमारी आत्मा का प्रतिनिधित्व करता है। यह वही परम सत्य है, जिसकी हम खोज कर रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाशिवरात्रि साधना, शरीर, मन और अहंकार के लिए गहन विश्राम का समय है, जो भक्त को परम ज्ञान के प्रति जागृत करती है।
भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, एक वर्ष में कुछ खास समय और दिन होते हैं, जो आध्यात्मिक उन्नति और ध्यान करने के लिए बहुत अनुकूल माने जाते हैं। महाशिवरात्रि त्यौहार उन्हीं में से एक है। महाशिवरात्रि की रात को नक्षत्रों की स्थिति ध्यान के लिए बहुत शुभ मानी जाती है। इसलिए लोगों को शिवरात्रि पर जागते रहने और ध्यान करने की सलाह दी जाती है। प्राचीन काल में लोग कहते थे, ‘यदि आप हर दिन ध्यान नहीं कर सकते हैं तो साल में कम से कम एक दिन महाशिवरात्रि को रात्रि जागरण करें और ध्यान करें’।
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