यमकेश्वर। फाणू उत्तराखंड का मुख्य व्यंजन है। योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को लगातार दूसरी बार यूपी के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। योगी के शपथ ग्रहण समारोह में पीएम मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा समेत कई दिग्गज नेता शामिल होंगे।
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून, 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर तहसील स्थित पंचुर गांव में हुआ था। पिता आनंद सिंह बिष्ट फारेस्ट रेंजर थे। परिवार में तीन बहनें और चार भाई हैं। वैसे तो योगी के राजनीतिक जीवन के बारे में काफी लोग जानते होंगे। उनकी बड़ी बहन शशि पयाल ने बचपन के किस्से साझा किए।
शशि पयाल भुवनेश्वर देवी मंदिर के पास चाय नाश्ते की दुकान चलाती हैं। मानवेंद्र, शैलेंद्र, महेंद्र भाई हैं। 2020 में जब कोराना पीक पर था, तभी इनके पिता का निधन हो गया था।
योगी को कुलद (फाणू) बहुत पसंद था। योगी की बहन बताती है कि भाई को फाणू बहुत पसंद है। जब भी मैं फाणू बनाती थी तो वो बोलते थे कि दीदी बहुत अच्छा फाणू बनाती हो। वह बताती हैं कि 31 साल पहले जब मेरी शादी हुई थी तो योगी ही मेरे लिए डोली लाए थे। राखी बांधने के सवाल पर वो बोलती हैं कि अब तो उन्हें भी याद नहीं कि कब भाई को राखी बांधी थी, मगर हर बार राखी जरूर भेजती हूं। वह बताती हैं कि वे सख्त मिजाज के थे। गलती पर मुझको भी डांटने में वो संकोच नहीं करते थे। जब योगी 15-16 साल के थे तब उन्होंने पिता से बोला था कि आप तो केवल परिवार पालते हो, कभी जनता की सेवा भी कर लिया करो। तब पिताजी ने बोला 85 रुपये तनख्वाह में मैं तुमको पाल लूं वही बहुत है।
वह बताती हैं कि 17 भाई बहनों के परिवार में कभी लड़ाई नहीं होती थी। तब लाइट नहीं होती थी। हम सब लोग गोल घेरे में बैठकर लालटेन में पढ़ाई करते थे। कालेज के एक कार्यक्रम में योगी का भाषण सुनकर 1993 में गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने उन्हें गोरखपुर बुलाया। परिवार को यह नहीं पता था कि योगी संत बन जाएंगे। जब पिता उन्हें लेने गए तो उन्होंने उन्हें वापस भेज दिया था।
मां के आंसू भी नहीं डिगा पाए योगी को
शषि कहती हैं कि भाई ने जब वापस लौटने से मना कर दिया तो पिता जी घर आ गए। फिर मां भी उनके साथ दोबारा गोरखपुर गई। भाई को देखते ही मां रोने लगी। तब भाई ने मां से कहा कि छोटे परिवार से अब बड़े परिवार में आया हूं, उसी रूप में जीवन जी रहा हूं।