यमकेश्वर। कौड़िया के जंगल में आग धधकने से वन संपदा स्वाहा हो चुकी है। अचानक गर्मी बढ़ने से पहाड़ों पर वनाग्नि की घटनाएं भी गर्मी की तरह बढ़ रही हैं। मार्च महीने में ही वन धधकने लगे हैं। बिरही और कौड़िया के जंगलों में शनिवार को आग लगी थी। रात तक कोई वनकर्मी आग बुझाने मौके पर नहीं पहुंचा, जिस कारण आग ने तेजी से पूरे जंगल को चपेट में ले लिया।
एक तरफ वन विभाग जहां जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए गोष्ठियां कर जागरूकता कार्यक्रम कर रहा है, वहीं दूसरी ओर मार्च में ही चमोली के जंगल धधक गए। बांज, बुरांस और चीड़ के पेड़ों के लकदक कौड़िया में जब शनिवार को आग लगी तो उस पर काबू पाना मुश्किल हो गया। आग इतनी विकराल है कि आसपास के क्षेत्रों में जबर्दस्त धुंआ-धुंआ फैला हुआ है।
बांज और बुरांस के पेड़ों को बड़ी मात्रा में क्षति
कई हेक्टेयर में फैला और बिरही और कौड़िया के जंगल देखते ही देखते ही आग की लपटों में घिर गया। आग से सैकड़ों की वन संपदा स्वाहा हो गई है। अभी भी अगर पर जल्द काबू नहीं पाया गया तो नुकसान का अनुमान लगाना मुश्किल होगा। धुंए से आसपास रह रहे लोगों की आंखों में भी असर पड़ रहा है। इन दिनों जंगलों में बुरांस खिले हुए थे।
कौड़िया रेंज के जंगल में लगी आग को बुझाने के लिए कर्मचारियों को भेज दिया गया है। जल्द से जल्द आग को काबू पाने का प्रयास किया जा रहा है। आग लगने के कारणों का भी पता लगाया जा रहा है। – सर्वेश कुमार दुबे, डीएफओ बदरीनाथ वन प्रभाग।
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