रोहिंग्या मुसलमान तराई से लेकर पहाड़ तक फैले
हल्द्वानी। रोहिंग्या मुसलमान उत्तराखंड के मैदान से लेकर पहाड़ तक तेजी से पैर पसारते नजर आ रहे हैं। बांग्लादेश के रास्ते भारत में दाखिल हुए रोहिंग्या मुसलमान ने नेपाल के बाद अब पहाड़ को अपना सुरक्षित ठिकाना समझ लिया है।
सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमान का पहाड़ तक पहुंचने का रास्ता किसी बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहा है। इसमें उत्तराखंड से सटे यूपी के कई जिले भी अतिसंवेदनशील श्रेणी में हैं, जहां से इन्हें आज भी बड़ी मदद मिल रही है। रोहिंग्या मुसलमान का पहला पड़ाव वाराणसी, उसके बाद गोरखपुर से सोनौली होते हुए नेपाल पहुंचते हैं। बाकी लखनऊ की तरफ बढ़ते हैं, जिनमें से कुछ कानपुर का रुख करते हैं बाकी गाजियाबाद, गुरुग्राम और दिल्ली में बंट जाते हैं।
वहां से लखनऊ, शाहजहांपर, फरीदपुर, बरेली और फिर धीरे-धीरे उत्तराखंड के हल्द्वानी व ऊधमसिंह नगर के रास्ते नैनीताल, अल्मोड़ा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ और चम्पावत पहंुच जाते हैं। उत्तराखंड में लगातार बढ़ती इनकी संख्या सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से गंभीर संकट पैदा कर रही है।
सत्यापन के लिए चलेगा विशेष अभियान
गंभीर होते हालात के बाद कुमाऊं में मंगलवार से रोहिंग्या के खिलाफ विशेष सत्यापन अभियान शुरू किया गया है। इसकी जिम्मेदारी सभी जिले के सीओ को सौंपी गई है। डीआइजी खुद अभियान की निगरानी कर रहे हैं। इसपर प्रदेश गृह मंत्रालय की भी नजर है। नैनीताल में सत्यापन अभियान में कृष्णापुर, बूचड़खाना, सूखाताल, हरिनगर, बारापत्थर, सीआरएसटी स्कूल के पीछे वाले इलाकों में विशेष नजर रहेगी। नैनीताल के साथ ही भीमताल, भवाली और रामगढ़, मुक्तेश्वर में भी पुलिस बारीकी से सत्यापन करेगी।
डीआइजी कुमाऊं नीलेश आनंद भरणे का कहना है कि सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के आधार पर पूरे कुमाऊं में हमने सत्यापन अभियान शुरू कर दिया है। दस्तावेजों की जांच के साथ ही स्थानीय संपर्क, निवास का समय और कार्यप्रणाली पर भी नजर रहेगी।