
देहरादून, 1 फरवरी। प्रदेश में नकली दवाइयों की आपूर्ति पर रोक लगाने के लिए अब 300 ब्रांड की दवाइयों को क्यूआर कोड के हवाले कर दिया गया है। अब फार्मा कंपनियों को दवाइयों की पैकिंग पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य हो गया है। प्रदेश में दवाइयों के रिटेलर और होलसेलर विक्रेता QR कोड वाली दवाइयों की बिक्री करेंगे।
क्यूआर कोड से पता चलेगा असली और नकली का दवाई का भेद भेद
इस संबंध में खाद्य संरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग ने आदेश जारी किए हैं। QR कोड से दवाइयों के नकली या असली होने का पता लग सकेगा। नकली दवाइयों को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर प्रचलित 300 दवाइयों के ब्रांड लेबर पर QR कोड अनिवार्य किया है। जिससे QR कोड को स्कैन कर दवाइयों के ब्रांड की सत्यता जांची जाएगी।
प्रदेश में लगभग 300 फार्मा कंपनियां हैं स्थापित
राज्य औषधि नियंत्रक ताजबर सिंह नेगी ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के आधार पर प्रदेश की सभी फार्मा मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को दवाइयों के ब्रांड पर QR कोड लगाने के लिए निर्देश दे दिए गए थे। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 300 फार्मा कंपनियां स्थापित हैं। इन कंपनियों ने दवाइयों की पैकिंग पर QR कोड प्रिंट करना शुरू कर दिया है। बुधवार को विभाग ने सभी दवा विक्रेताओं को आदेश जारी किए कि क्यूआर कोड प्रिंट दवाइयों की बिक्री की जाए।
इन दवाइयों पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य
एसीलॉक टेबलेट, ऑगमेंटिन डुओ, बिटाडिन, बिकासूल कैप्सूल, बेटनोवेट क्रीम, कॉलपोल टेबलेट, कांबिफ्लेम, मोंटेयर एलसी टेबलेट, रोसुवेस, टेलमा एएम, टेलमा एच समेत 300 ब्रांड की दवाइयों पर क्यूआर कोड लगना अनिवार्य है। विभाग ने दवा विक्रेताओं को आदेश दिए गये हैं कि QR कोड स्कैन करने के बाद दवाइयों की सत्यता जांच कर ही बिक्री की जाए। यदि नकली दवा की आपूर्ति की जा रही है तो तत्काल विभाग को सूचित करें। https://sarthakpahal.com/