
हरिद्वार, 9 अगस्त। धराली उत्तरकाशी में आयी भीषण त्रासदी में प्रभावितों की सहायता के लिए पतंजलि योगपीठ ने हाथ बढ़ाया है। पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष बाबा रामदेव, महामंत्री आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि फूड्स के एमडी रामभरत ने प्रारंभिक तौर पर तीन ट्रक आपदा राहत सामग्री धराली, उत्तरकाशी रवाना की। संपूर्ण देशवासियों से इस आपदा में प्रभावितों की सहायता के लिए आगे आने का आह्वान किया।
इस अवसर पर बाबा रामदेव ने कहा कि इस त्रासदी में जो जीवन समाप्त हो गए उन्हें तो कोई लौटा नहीं सकता लेकिन प्रभावित करीब 500 परिवारों के रोजमर्रा की नितांत आवश्यक वस्तुएं जैसे आटा, चावल, दालें, नमक, मसाले, बरसात से बचने के लिए तिरपाल, बर्तन, टूथपेस्ट, ब्रश, साबुन आदि हर्षिल, धराली रवाना की जा रही है। उन्होंने कहा कि मौसम की अनुकूलता होने पर आपदा पीड़ितों की और मदद की जाएगी।
अमेरिकी गुंडागर्दी का मुकाबला करने का समय आ गया: रामदेव
उन्होंने कहा कि ढाई सौ साल पहले एक विदेशी ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत को गुलाम बनाया था और केवल 10 ताकतवर लोगों ने लगभग 64 ट्रिलियन डालर की लूट की थी। कुल मिलाकर भारत में पिछले 200-250 सालों में लगभग 100 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक लूट हुई है। आज राजनैतिक आजादी के बावजूद भी देश आर्थिक गुलामी, शिक्षा-चिकित्सा की गुलामी, वैचारिक सांस्कृतिक गुलामी, ग्लानि व कुंडाओं में डूबा हुआ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने टेरिफ रेट को लेकर पूरे विश्व में जो गुंडागर्दी कर रखी है उसे गुंडागर्दी का मुकाबला करने का समय आ गया।
प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत स्वदेशी भारत के मंत्र को अपनाएं, स्वदेशी से स्वावलंबी का संकल्प लें। भारत की करेंसी, जीडीपी तथा इकोनामी को हम तभी मजबूत बना पाएंगे जब हम स्वदेशी के मार्ग पर चलेंगे। इससे पहले पतंजलि योगपीठ में श्रावणी उपाकर्म, रक्षाबंधन पर्व मनाया गया। बहन रेनू श्रीवास्तव, साध्वी देवप्रिया, डा ऋतंभरा शास्त्री, बहन अंशुल, बहन पारुल के साथ-साथ पतंजलि गुरुकुलम और आचार्यकुलम की छात्राओं तथा संन्यासिनी बहनों ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को राखी बांधकर रक्षा का आशीर्वाद लिया। साथ ही पतंजलि गुरुकुलम तथा आचार्यकुलम के छात्र-छात्राओं का उपनयन संस्कार कराया गया।
दोबारा आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता
योगगुरु ने कहा उत्तराखंड में कच्चे पहाड़ हैं जो दरकते रहते हैं। लोगों ने भी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नदियों के किनारे और पहाड़ से आने वाले झरनों और नालों के किनारे तलहटी में आबादी बसायी हुयी है। इसके लिए विचार करना होगा कि उत्तराखंड की बसावट कैसी हो। जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जनहानि न हो और बार-बार आपदाओं और त्रासदियों का सामना नहीं करना पड़े। हमें दोबारा आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है।
आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि रक्षाबंधन का अर्थ है कि हम हमारी बहनों या समाज के किसी भी व्यक्ति की रक्षा अपनी सामर्थ्य के अनुसार कर पाएं। दुर्भाग्य से उत्तराखंड में जो भयानक त्रासदी हुयी उसमें कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। पतंजलि परिवार उसी दिन से शासन-प्रशासन और जमीनी स्तर पर संपर्क बनाए हुए है। करीब 500 परिवार इस भयानक त्रासदी में बहुत ज्यादा प्रभावित हैं। इनको लक्ष्य में रखकर हम प्रारंभिक तौर पर उन प्रभाविताें के लिए आवश्यक सामग्री रवाना कर रहे हैं। पहले भी पतंजलि आपदा की घड़ी में देशवासियों के साथ खड़ा रहा है। इस आपदा के समय में भी पतंजलि प्रभावितों के साथ है।