5 घंटे में 30 किमी पैदल चलकर महिला को पहुंचाया अस्पताल, देखें वीडियो

पिथौरागढ़। 5 घंटे लगातार 30 किमी. पैदल चलकर ग्रामीणों ने अपने एंबुलेंस रूपी कंधों के सहारे आसमान से बरसता पानी, ऊबर-खाबड़ पैदल रास्ता, कहीं चढ़ाई तो कहीं उतराई, हल्की सी असावधानी में जान जोखिम में डालकर बीमार महिला को अस्पताल पहुंचाया। महिला की बिगड़ती हालत को देखते हुए ग्रामीणों ने इस दौरान कहीं विश्राम भी नहीं किया।
ये वाकया विकास खंड मुनस्यारी के दूर गांव बौना का है। यहां के 28 साल पहले स्वीकृत हुई सड़क आज तक नहीं बन पायी है, जो सड़क बनी है वह मानसून की पहली बारिश के साथ ही कई माह के बंद हो चुकी है। बौना, तोमिक, गोल्फा के ग्रामीणों के मानसून कालापानी की सजा लेता है। इन हालातों में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी जान बचाने के लिए गांव के नौजवान जान हथेली पर रख देते हैं। राजकीय एलोपैथिक अस्पताल में पिछले कई महीने से चिकित्सक नहीं होने से बीमार व्यक्ति को प्राथमिक उपचार के लिए मदकोट जाना पड़ता है।
रास्ते बंद सिर्फ पैदल चलने के संकरे जगह में बारिश के बीच उफनाए नाले और चट्टानों से गिरने वाले झरनों के बीच बीमार महिला को तीस किमी दूर मदकोट अस्पताल पहुंचाना बड़ी बहादुरी का काम था। बेदम हो चुकी महिला के लिए ग्रामीणों के कंधे ही एंबुलेंस का सहारा बने।
भगवान भरोसे है स्वास्थ्य सेवा
दूरस्थ और दुर्गम बौना एलोपैथिक अस्पताल में डीएम की पहल पर आठ माह पूर्व एक चिकित्सक तैनात किया गया था। स्वास्थ्य विभाग ने चिकित्सक को पीएचसी मदकोट अटैच कर दिया। यही रोना है पहाड़ की जनता का। यहां स्वास्थ्य सेवाएं दम तोड़ रही हैं। जहां सुविधाएं हैं वहां जनता नहीं और जहां जनता है वहां सुविधाओं का रोना है। यह हाल तब है जब हमारे प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत दावा ठोकते हैं कि पहाड़ में चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करा दी गयी हैं। जबकि सच्चाई यह हैं कि पहाड़ों पर चिकित्सा सुविधाएं बेदम हो चुकी हैं।