
मोकामा (बिहार)। दो युवकों ने शादी रचाकर कहा कि हमें कोई एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकता। जिंदगी भर साथ निभायेंगे। समलैंगिक विवाह कानूनी तौर पर सामाजिक रूप से मान्यता प्राप्त एक ही लिंग के लोगों के विवाह को कहते हैं। समलैंगिक विवाहों को वैध बनाने वाला पहला देश नीदरलैंड था, जिसने 2001 में इसे कानूनी मान्यता दी थी। भारतीय कानून के संस्कृति के अनुसार एक जैविक पति और जैविक पत्नी को विवाह के लिए आवश्यक कहा गया है और केवल उनकी शादी को ही मान्यता दी गयी है।
बड़े शहरों को छोड़ो अह छोटे शहरों में भी समलैंगिक विवाह का प्रचलन शुरू हो गया है। ताजा जानकारी के अनुसार मोकामा नगर परिषद क्षेत्र के मैनक टोला निवासी दो युवकों 22 वर्षीय राजा कुमार और 18 वर्षीय पुरुष मित्र ने मंदिर में भगवान को साक्षी मानकर चोरी-छिपे शादी रचा ली। कुछ दिन तक तो किसी को इस बात की भनक तक नहीं लगी। शादी के बाद दोनों एक किराये का कमरा लेकर साथ रह रहे हैं। हालांकि इस तरह की शादी का वहां रह रहे कई लोगों ने विरोध भी किया। उनका कहना था कि इस तरह की शादी का समाज में बुरा असर पड़ेगा।
कोई चाहकर भी हमें नहीं कर सकता अलग
बताया जा रहा है कि दोनों में से किसी ने भी अपने घरवालों को इस बात की जानकारी नहीं दी है। दोनों का कहना है कि अगर परिवार के सदस्यों को पता चलेगा तो वे लोग इसका विरोध करेंगे, इसलिए हमने शादी को छुपाकर रखा है। हालांकि उनका कहना था कि हम अपनी शादी को जल्द ही सार्वजनिक करेंगे। यदि परिवारवाले इसका विरोध भी करेंगे तो भी हम लोग साथ रहेंगे और एक-दूसरे का हाथ कभी नहीं छोड़ेंगे। दोनों ने कहा कि चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले हम दोनों को एक-दूसरे से अलग नहीं कर सकते।