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शौचालय में नाबालिग ने दिया बच्चे को जन्म, दोनों की मौत, अस्पताल, परिजनों पर संदेह

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देहरादून/रुद्रप्रयाग। शौचालय में नाबालिग के बच्चे को जन्म देने के बाद जच्चा-बच्चा दोनों की मौत के बाद अस्पताल प्रशासन और परिजन संदेह के कठघरे में हैं। जहां अत्यधिक रक्तस्राव के बाद नाबालिग की मौत हो गयी, वहीं अस्पताल के शौचालय में बच्चा मृत पाया गया, जिसका अस्पताल के किसी कर्मचारी को पता नहीं चल पाया।

रुद्रप्रयाग के जिला अस्पताल में पेटदर्द की शिकायत लेकर आई 17 साल की नाबालिग गर्भवती लड़की को मेडिसिन वार्ड में भर्ती कराया गया। रात में अस्पताल के शौचालय में उसने बच्चे को जन्म दिया। अत्यधिक रक्तस्राव के कारण नाबालिग लड़की ने दम तोड़ दिया। अस्पताल के शौचालय में प्रसव होने का किसी को पता नहीं चल सका।

शौचालय में नवजात का शव मिलने से मचा हड़कंप
अभी यह पता नहीं चल पाया है कि बच्चा मृत हुआ था या प्रसव के बाद उसकी मौत हुई। मामला सोशल मीडिया पर तूल पकड़ने के बाद गंभीरता को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने जांच समिति का गठन किया है। इस पूरे मामले में अस्पताल प्रशासन और डाक्टर्स सवालों के कठघरे में हैं। बहरहाल इस पूरे प्रकरण को जच्चा-बच्चा की सामान्य मौत नहीं, बल्कि हत्या के तौर पर देखा जा रहा है। सवाल तो यह भी है कि नाबालिग गर्भवती कैसे हुई? अस्पताल प्रशासन का कहना है कि लड़की की मां ने हमले सच्चाई छुपाई कि लड़की गर्भवती है।

‘मामला संज्ञान में आया है। वैसे, जिला अस्पताल सीधे सीएमएस के अधीन होते हैं। सीएमएस डॉ. राजीव सिंह पाल ने पूरे मामले में तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है, जिसमें स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. संगीता चौहान, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका राणा व डॉ. राजीव गैरोला को शामिल हैं। तीन दिन में कमेटी रिपोर्ट सौंपेगी कि आखिर लापरवाही किस स्तर पर हुई? जानकारी के अनुसार लड़की में सिर्फ 3 ग्राम हीमोग्लोबिन था और पूरे शरीर में सूजन थी। शायद इस वजह से डॉक्टर को उसके गर्भवती होने का पता नहीं चला।’
डॉ. बीके शुक्ला, सीएमओ, रुद्रप्रयाग

‘जिला अस्पताल में नाबालिग गर्भवती और नवजात की मृत्यु का मामला सामने आया है। पुलिस प्रशासन कई पहलुओं की जांच कर रहा है। साक्ष्यों के आधार पर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।‘
आयुष अग्रवाल, एसपी, रुद्रप्रयाग

अस्पताल की लापरवाही आ रही सामने
नाबालिग को कमजोरी और बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती कराए जाते वक्त होने वाली जांच में डॉक्टरों को उसके गर्भवती होने का पता न चलना अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है। यह चिकित्सकीय लापरवाही की ओर भी इशारा करता है।

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