38 साल बाद लांसनायक चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर आज पहुंचेगा घर
हल्द्वानी। 38 साल बाद लांसनायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर सियाचिन ग्लेशियर में मिला है। इसकी सूचना सेना की ओर से उनके परिजनों को दे दी गयी है। पता चला है कि आज 15 अगस्त को उनका पार्थिक शरीर हल्द्वानी लाया जायेगा, जहां सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा।
मूल रूप से अल्मोड़ा के द्वाराहाट के हाथीगुर बिंता निवासी चंद्रशेखर 19 कुमाऊं रेजीमेंट में लांसनायक थे। वे 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। 1984 में भारत-पाकिस्तान के बीच सियाचिन के लिए युद्ध हुआ था। भारत ने इस मिशन का नाम आपरेशन मेघदूत रखा था। भारत की ओर से 20 सैनिकों की एक टुकड़ी भेजी गयी थी, जिसमें चंद्रशेखर भी शामिल थे। जहां ग्लेशियर टूटने की वजह से किसी भी सैनिक के बचने की उम्मीद नहीं रही।
सैनिकों को ढूंढने के लिए सर्च अभियान चलाया गया था, जिसमें 15 सैनिकों के पार्थिव शरीर मिल गये थे, पांच सैनिकों का अभी तक पता नहीं चल सका था। चंद्रशेखर हर्बोला के साथ एक और सैनिक का पार्थिव शरीर मिलने की सूचना प्राप्त हुई है। एसडीएम मनीष कुमार और तहसीलदार संजय कुमार रविवार को उनके घर पहुंचे। और उन्हें प्रशासन की तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
शहीद चंद्रशेखर के पार्थिव शरीर की पहचान के लिए उनके हाथ में बंधे ब्रेसलेट का सहारा लिया गया। इसमें उनका बैच नंबर और अन्य जरूरी जानकारी मिली। बर्फ में दबे रहने की वजह से शहीद की पार्थिव देह को नुकसान नहीं हुआ है। सियाचिन दुनिया के दुर्गम सैन्य स्थलों में से एक है। यह बहुत ऊंचाई पर स्थित है, जहां जीवित रहना एक सामान्य मनुष्य की बात नहीं है। 1984 में सैनिकों ने इस जगह को पूरी तरह अपने नियंत्रण में ले लिया था।
इस अभियान में जो 20 सैनिक हादसे का शिकार हुए थे, उनके नाम:-
1. पीएस पुंडीर इलाहाबाद, 2. मोती सिंह पिथौरागढ़, 3. गोविंद बल्लभ अल्मोड़ा, 4. भगवत सिंह अल्मोड़ा, 5. दयाकिशन नैनीताल, 6. राम सिंह नैनीताल, 7. चंद्रशेखर हर्बोला अल्मोड़ा, 8. चंद्रशेखर पिथौरागढ़, 9. जगत सिंह पिथौरागढ़, 10. गंगा सिंह अल्मोड़ा, 11. महेंद्र पाल सिंह पिथौरागढ़, 12. जगत सिंह पिथौरागढ़, 13. हयात सिंह पिथौरागढ़, 14. भूपाल सिंह पिथौरागढ़, 15. नरेंद्र सिंह पिथौरागढ़, 16. राजेंद्र सिंह अल्मोड़ा, 17, भीम सिंह पिथौरागढ़, 18. मोहन सिंह भंडारी अल्मोड़ा, 19. पुष्कर सिंह पिथौरागढ़, 20. जगदीश चंद्र पिथौरागढ़।