कोटद्वार। कोटद्वार में सुखरो नदी में उफान आने से सुखरो पुल पर खतरा को देखते हुए आवागमन फिलहाल रोक दिया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश से नदियां उफान पर हैं। सुखरो और उसकी सहायक ग्वालगढ़ नदी के निचले इलाके में भूकटाव हो रहा है। सिमलचौड़ के पास सुखरी नदी से हो रहे भूकटाव से सुखरो पुल को खतरा बना हुआ है।
कोटद्वार भावर मार्ग पर स्थित सुखरो मोटर पुल के पिलरों तक कटाव का खतरा बड़ गया है। शुक्रवार सुबह करीब 6 बजे सुखरो नदी पर बने पुल का एक पिलर धंसने लगा, जिस कारण पुल क्षतिग्रस्त हो गया है।
क्षतिग्रस्त पुल के लिए अवैध खनन जिम्मेदार
नदियों ने रिवर ट्रेनिंग के नाम पर खनन कार्य तो बंद हो चुका है, लेकिन सुखरो की नदी में आज भी अवैध खनन चल रहा है। यही कारण है कि सुखरो नदी पर बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया है, क्योंकि जेसीबी से मशीन लगातार किए जा रहे अवैध खनन के कारण पुल की नींव तक हिल चुकी थी। बाकी रही सही कसर बाढ़ ने पूरी कर दी है। https://sarthakpahal.com/
पुल की बुनियाद खनन से हो गयी खोेखली
खनन कार्यों ने प्रशासन की कथित मिलीभगत से जहां पुल की बुनियाद तक हिल गयी, वहीं पुल पर लगातार ओवरलोडेड खनिज से लदे डंपर गुजरते रहते हैं। लोक निर्माण विभाग दुगड्डा इकाई ने इस संबंध में कई बार जिलाधिकारी व आयुक्त को पत्र भेजकर पुल पर ओवरलोडेड डंपरों की आवाजाही रोकने की मांग की गयी थी, लेकिन प्रशासन इस ओर लगातार चुप्पी साधे हुए है। प्रशासन की इसी अनदेखी का परिणाम है कि जो पुल 2010 में बनाया गया था, वह मात्र 12 साल के अंदर ही धराशायी होने के कगार पर खड़ा है।