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भर्ती घोटाले के तूफान में लहरा रही है दो मंत्रियों की कश्ती, आलाकमान ले रहा फीडबैक

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देहरादून। भर्ती घोटाले के तूफान में दो मंत्रियों की कश्ती लहरा रही है। इन दो मंत्रियों की भूमिका काफी संदिग्ध मानी जा रही है। यूकेएसएसएससी और विधानसभा में चोर दरवाजे से हुई भर्तियों के मामले ने राज्य में इस समय उथल-पुथल मचा रखी है। केंद्रीय नेतृत्व इस संबंध में लगातार नजरें गड़ाए हुए है।

यूकेएसएसएससी और विधानसभा में हुई भर्ती घोटाले के बाद से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल मचा हुआ है। इसकी आंच हालांकि मुख्यमंत्री तक भी जा सकती है। वैसे कैबिनेट के दो-तीन मंत्रियों की छुट्टी तो पक्की मानी जा रही है, क्योंकि इतने बड़े पैमाने पर घोटाला बिना सत्ताधारी नेताओं के सहयोग से संभव नहीं हो सकता।

धामी सरकार में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल पर आरोप है कि जब वे 2017-2022 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे तो उन्होंने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों 72 लोगों को विधानसभा में नौकरी दिला दी। इन नियुक्तियों पर वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने जांच बैठा दी है। यह नियुक्तिओं पर सवाल उठ रहे हैं। जांच रिपोर्ट जो भी निकले, लेकिन इन घोटालों से सरकार की खूब किरकिरी हुई है, जिससे केंद्रीय आलाकमान भी खफा है।

सहकारिता विभाग और शिक्षा विभाग में भी बड़े स्तर पर हुई अवैध भर्ती किये जाने का कांग्रेस ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है। ये दोनों विभाग कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत के पास हैं। https://sarthakpahal.com/ इसके अलावा एक अन्य मौजूदा मंत्री और एक पूर्व मंत्री पर भी अपने कार्यकाल में भाई भतीजावाद का आरोप लग रहा है। केंद्रीय नेतृत्व को दिये गये फीडबैक पर दो कैबिनेट मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठाये गये हैं। इन पर कभी भी गाज गिर सकती है।

सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ऐसा रास्ता तलाश रहा है, जिससे सरकार की छवि भी खराब न हो और इन घोटालेबाज मंत्रियों को पद से हटाकर चुपके से दिरकिनार किया जा सके। कुल मिलाकर मंत्रिमंडल विस्तार की आड़ लेकर इन मंत्रियों की छुट्टी की जा सकती है।

पूर्व सीएम त्रिवेंद्र की पीएम मोदी से मुलाकात
दो मंत्रियों की छुट्टी की संभावना के बीच पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के दिल्ली में पीएम और भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात को लेकर भी सियासी माहौल गरमाया हुआ है। तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दोनों नेताओं से अपनी मुलाकात को एक शिष्टाचार भेंट बताया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत से इन घोटालों के संबंध में जानकारी अवश्य ली होगी।

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