
हल्द्वानी। दो माह बाद शादी की पहली सालगिरह मनाने से पहले ही सारी खुशियां धूल-धूसरित हो गयीं। पंजाब के पटियाला में डीप आर्डिनेंस यूनिट में तैनात भुवन भट्ट के निधन पर हर आंख गमजदा थी। भुवन भट्ट तीन दिन पहले दोस्तों के साथ भाखड़ा के इंदिरा नहर में नहाने गये थे, जिसमें वह बह गये थे। तीन दिन तक खोजने के बाद आखिरकार घटनास्थल से 85 किमी दूर खनौरी शहर के पास नहर में उनका पार्थिव शरीर बहरामद किया गया।
गांव में बहुत से स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
भुवन भट्ट ऊधमसिंहनगर के शांतिपुरी के जवाहर नगर निवासी थे। वैसे वह मूल रूप से चंपावत के देवीधुरा के रहने वाले थे। उनके पिता हरीश दत्त भी फौज में थे। 1994 में उनका परिवार ऊधमसिंहनगर के जवाहर नगर में बस गये था। उनका यह गांव स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का दर्ज रखता है। परिवार में उनके माता-पिता, बहन और पत्नी थीं। गुरुवार सुबह भुवन का पार्थिव शरीर जब उनके घर पहुंचा तो घर में कोहराम मच गया। पूरे गांव में मजमा जुट गया। सभी की अश्रूपूरित आंखें भुवन को विदाई दे रही थीं।
सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
पति के गम में बदहवास पत्नी पूजा, मां ईश्वरी देवी, बहन कुसुम और पिता हरीश दत्त भट्ट भुवन के ताबूत से बार-बार लिपट लिपटकर रोते-बिलखते रहे। घर पर डेढ़ घंटे रहने के बाद भुवन की अंतिम यात्रा शुरू हुई तो पूरा गांव भारत माता की जय, भुवन जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक तेरा नाम रहेगा, बंदे मारतम आदि देशभक्ति के नारों से गुंजित हो उठा। हल्द्वानी स्थित रानीबाग के चित्रशिला घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ सशस्त्र सैनिक टुकड़ी की तीन राउंड फायरिंग के साथ उनके चचेरे भाई भुननेश भट्ट व किशोर भट्ट ने उनकी चिता को मुखाग्नि दी।
दो माह बाद थी शादी की पहली सालगिरह
दो माह बाद भुवन की शादी की पहली सालगिरह थी, जिसके लिए भुवन ने पत्नी से वादा किया था कि वह छुट्टी लेकर आएगा और पहली सालगिरह साथ मनाएगा, लेकिन अनहोनी को कौन टाल सकता है। शायद उनकी किस्मत में यही दिन देखने को लिखा रहा होगा।
भुवन की प्रारंभक शिक्षा पंतनगर इंटरमीडिएट कैंपस स्कूल में हुई थी। भुवन के पिता स्वयं सेना से रिटायर पंतनगर एयरपोर्ट में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने लगे थे। भुवन जब अरिहंत प्राइवेट इंस्टीट्यूट से बीसीए कर रहा था, तभी 2014 में वह सेना में भर्ती हो गये थे। https://sarthakpahal.com/
चलो आज फूल चढ़ाते हैं, शहीदों की मजार पर, जिसने कर दी अपनी जान कुर्बान वतन के नाम पर।
चलते थे जो सरहदों पर अपना सीना तान कर, खाई जिसने गोली देश की आन, बान और शान पर।
जय हिंद, जय हिंदुस्तान