देहरादून। अंकिता हत्याकांड में कई रहस्यों से पर्दा उठाना अभी बाकी है। अंकिता की हत्या के आरोप में भले ही रिजार्ट मालिक सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया गया हो, लेकिन कई सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब आने बाकी हैं, और जब ये जवाब मिलेंगे तो एक बार फिर भूचाल आ जायेगा। अंकिता की मौत की कहानी के पीछे बहुत झोल है। इसे लेकर कई तरह के किंतु-परंतु लोगों की जुबान पर जरूर उठ रहे हैं।
विधायक की भूमिका पर भी संदेह
रिजार्ट पर रातोंरात बुलडोजर चलाकर अंकिता का कमरा तुड़वा दिया गया। ये किसके इशारे पर हुआ, इससे अभी पर्दा उठना बाकी है। पहले एक विधायक ने इसका श्रेय जरूर लिया, लेकिन जब सवाल उठने लगे तो उन्होंने भी चुप्पी साध ली। प्रशासनक अधिकारियों ने भी तोड़फोड़ के आदेश दावा किया, लेकिन अब वो भी पलट गये। आधी रात को ही बुलडोजर चलाने की क्या मजबूरी थी। आखिर इतनी जल्दबाजी की क्या आवश्यकता थी।
अंकिता के कमरे से रोने-चिल्लाने की आवाज का रहस्य
18 सितम्बर को वीआईपी मेहमानों के जाने के बाद पुलसित आधा घंटे तक अंकिता के कमरे में था। इस दौरान लगातार अंकिता के रोने और चिल्लाने की आवाज आती रही। जब पुलकित अंकिता के कमरे में था, तो पूरे स्टाफ को ऊपरी मंजिल पर भेज दिया गया था। अंकिता की चीख-पुकार सुनकर भी कोई स्टाफ का कोई आदमी कमरे में नहीं आया। आखिर ऐसा क्यों हुआ, इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
अंकिता और पुलकित का मोबाइल कहां है
अंकिता के दोस्त पुष्प का कहना है कि अंकिता का मोबाइल बंद होने के पौन घंटे बाद उसकी पुलकित से मोबाइल पर बात हुई। कुल मिलाकर दोनों के मोबाइल को लेकर स्थिति साफ नहीं है।
वीआईपी गेस्ट हाउस का सच
रिजार्ट के पास एक वीआईपी गेस्ट हाउस भी है, जिसमें ऐशोआराम का सारा इंतजाम उपलब्ध है। यहां पुलकित के कौन से खास मेहमान ठहरते थे और वहां क्या होता था, ये भी अब तक राजफास नहीं हुआ है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं हुई
अंकिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करने को लेकर रविवार को ग्रामीणों ने करीब छह-सात घंटे तक बदरीनाथ राजमार्ग जाम किया था। प्रशासन और सरकार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट सार्वजनिक करने की बात कही तो तब जाकर ग्रामीण माने थे, मगर पोस्टमार्टम रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया।
रिजार्ट में कौन वीआईपी आने वाले थे
घटना के एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ सका है कि रिजार्ट में उस दिन वीआईपी गेस्ट कौन आने वाले थे, जिसके लिए अंकिता स्पेशल सर्विस देने का दबाव डाला जा रहा था। रिजार्ट में कौन आता-जाता था, इसे भी दर्ज नहीं किया जाता था। इसकी वजह क्या थी, यह किसी को नहीं मालूम।
पटवारी को भाजपा नेता का संरक्षण
कहा तो ये भी जा रहा है कि पटवारी को भाजपा से जुड़े एक पूर्व मंत्री का भी संरक्षण प्राप्त था। उसी की वजह से वह क्षेत्र में धमाचौकड़ी मचा रहा था। भाजपा नेता और पटवारी की जुगलबंदी का रहस्य भी खुलना बाकी है।
पटवारी ने क्यों छुपाई घटना
अंकिता के लापता होने की सूचना 18 सितम्बर को यानी उसकी हत्या वाली रात ही क्षेत्र के पटवारी वैभव प्रताप सिंह को मिल गयी थी। हालांकि उसने न तो रिपोर्ट दर्ज की और न ही उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी दी। हत्याकांड के तीसरे दिन पटवारी वैभव पिताजी की बीमारी का हवाला देकर छुट्टी पर चले गये। हालांकि आज वो भी सस्पेंड हो चुके हैं। इतनी गंभीर घटना के बाद अचानक पटवारी का छुट्टी पर जाना कई सवालों को जन्म दे रहा है। https://sarthakpahal.com/