देहरादून। केंद्र सरकार ने पौड़ी जिले के बहादुर बेटे ले. जनरल अनिल चौहान (रि.) को अगला चीफ आफ डिफेंस (सीडीएस) के रूप में नियुक्त किया है। ले. जनरल (रि) अनिल चौहान की गोरखा राइफल से सेना में एंट्री हुई थी। वह पीओके में बालोकोट स्ट्राइक की प्लानिंग में भी शामिल थे और पिछले साल ही रिटायर हुए हैं। ले. ज. चौहान पौड़ी जिले के राजपूत परिवार से ताल्लुक रखते हैं। देहरादून स्थित आईएमए से पास-आउट होने के बाद ले. ज. चौहान को भारतीय सेना की गोरखा राइफल्स में 1981 में कमीशन प्राप्त हुआ था।
पौड़ी के खिर्सू ब्लाक के रहने वाले हैं नरेश चौहान
नवनियुक्त सीडीएस मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के खिर्सू ब्लाक के ग्रामसभा रामपुर कांडा गंवाणा के रहने वाले हैं, लेकिन देहरादून के वसंत विहार में भीउनका पुश्तैनी मकान है, जहां पर उनके पिताजी रहते हैं। चचेरे भाई दर्शन सिंह ने बताया कि अभी पांच साल पहले नृसिंह देवता की पूजा में शामिल होने के लिए वे गांव आए थे।
भाई ने रखा गांव में विशेष भोज का आयोजन
भाई दर्शन सिंह चौहान ने कहा कि ले. ज. अनिल चौहान (रि) के सीडीएस नियुक्त होने से गांव का हर व्यक्ति खुश और अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा है। यह न केवल गांव, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए गौरव का क्षण है। भाई ने बताया कि उन्हें बुधवार रात 8 बजे इसकी सूचना मिली। इसी खुशी में उन्होंने गुरुवार (आज) गांव में विशेष भोज का आयोजन रखा है।
कई महत्वपूर्ण पदों पर दे चुके हैं सेवा
सीडीएस जैसे अहम पद पर नियुक्ति से पहले ले.ज. चौहान ने कई महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली है। जम्मू-कश्मीर और नार्थ-ईस्ट राज्यों में आतंक विरोधी अभियानों का उन्हें काफी अनुभव है। संयुक्त राष्ट्र मिशन के तहत अंगोला में भी इनकी तैनाती हो चुकी है। 40 साल सेना में सेवा देने के बाद ले. ज. चौहान पिछले साल 31 मई को रिटायर हुए थे। सीडीएस की नियुक्ति सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के तौर पर होती है, जो वर्तमान में अतिरिक्त सचिव रैंक के तहत काम करता है।
बहादुरी के लिए कई मेडल से सम्मानित
सेना में विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए ले. जनरल अनिल चौहान (रि) को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया जा चुका है। वह एनएसए अजीत डोभाल के मिलिट्री सलाहकार भी रह चुके हैं। https://sarthakpahal.com/
पहले सीडीएस पौड़ी जिले के रहने वाले थे
देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के रहने वाले थे। उनका पैतृक गांव विरमोली द्वारीखाल ब्लाक में स्थित है। पिछले साल 8 दिसम्बर 21 को तमिलनाडु में चापर क्रैश होने के कारण जनरल रावत पत्नी सहित 13 लोगों की मृत्यु हो गयी थी। रिटायरमेंट के बाद उन्होंने उत्तराखंड में ही बसने की योजना बनायी थी।