बेटों का अत्याचार, बेटी ने भी किया इनकार, वृद्धाश्रम में मिला सहारा
लखनऊ। बेटों का अत्याचार सहते-सहते रामेश्वर प्रसाद टूटकर बेटी के पास पहुंचा, तो बेटी ने फौरन दुत्कार दिया। अंत में बूढ़े बाप को हारकर वृद्धाश्रम की तरफ रुख किया। दिल को झकझोर देने वाली यह हकीकत लखनऊ के रामेश्वर प्रसाद की है।
तीन दिन से बुजुर्ग पिता को घर भेजने के लिए दो बेटों की काउंसिंलिंग चल रही थी, लेकिन सारी कोशिशें तब दगा दे गयी, जब बुजुर्ग बाप ने बेटों के साथ रहने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। उनका कहना था कि वृद्धाश्रम में सिर पर छत और इज्जत की दो रोटी तो मिलेगी। चार दिन की जिंदगी बची है, यहीं पर काट लूंगा, पर इनके साथ नहीं जाऊंगा। दरअसल में रामेश्वर प्रसाद ने बाजारखाला पुलिस में अपने दोनों बेटों के खिलाफ मारने-पीटने का मुकदमा दर्ज कराया।
बेटों की प्रताड़ना से परेशान था बाप
लखनऊ की वन स्टाप सेंटर की टीम ने 85 वर्षीय बुजुर्ग को सरोजनीनगर के वृद्धाश्रम में पहुंचाया था। बुजुर्ग का आरोप था कि उनके दोनों बेटों ने उन्हें बहुत प्रताड़ित किया। बड़े बेटे ने मारपीट कर अपमानित कर घर से निकाल दिया तो बाप सड़क पर आ गया। उधर से गुजर रही प्रियंका सिंह की सूचना पर वन स्टाप सेंटर की टीम की मदद से उन्होंने केस दर्ज करवाया है। प्रभारी निरीक्षक बाजारखाला विनोद कुमार यादव का कहना है कि इस मामले की जांच की जा रही है।
कहतें हैं कि जिसकी औलादें हों उसे बुढ़ापे की क्या चिंता। लेकिन बेचारे रामेश्वर प्रसाद के दो कमाऊ बेटे और चार बेटियां होते हुए भी वे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं। जब बेटों ने घर से बेघर कर दिया तो बेटियों ने साफ लहजे में कह दिया कि बेटे हैं तो उनके पास जाओ, हम नहीं रख सकते।
रामेश्वर प्रसाद सिंह ने एक पत्र में अपना दर्द बयां किया। बताया कि पुराना टिकैतगंज में घर है। चार बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। बेटे ड्राइवर हैं। तबीयत खराब होने पर बलरामपुर अस्पताल में भर्ती हो गये। डिस्चार्ज होने पर बेटी ने भी पनाह नहीं दी। बाप ने भीगी पलकों से बताया कि कमाई बंद हो गयी तो मैं बोझ बन गया, बड़ा लड़का तो दो बार मार भी चुका है। डीपीओ विकास सिंह के निर्देश पर सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
सीनियर सटीजन एक्ट क्या कहता है
डा. अंदु सुभाष कहती हैं कि सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत माता-पिता को प्रताड़ित करने पर बेटा-बेटी दोनों कानून के दायरे में आते हैं। इसमें 10 हजार रुपये प्रतमाह या इससे ज्यादा का भी भुगतान करने का निर्देश न्यायाधिकरण बच्चों को दे सकता है। तीन से छह महीने की जेल या 10 हजार का जुर्माना या दोनों से दंडिग करने का प्रावधान है। संशोधन विधेयक के मुताबिक सास-ससुर व दादा-दादी को भी प्रताड़ित करने पर यह दंड दिए जाने का प्रावधान है। https://sarthakpahal.com/