जर्जर भवनों में पढ़ाई कर रहे नौनिहालों की जान खतरे में, विभाग कुंभकर्णी नींद में

यमकेश्वर। जर्जर भवनों में पढ़ाई करना पहाड़ के नौनिहालों की मजबूरी बन गयी है। एक ओर प्रदेश सरकार पहाड़ों पर घटती छात्र संख्या पर चिंतित है। पहाड़ी क्षेत्रों में विद्यालयों में घटती छात्र संख्या को बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये उड़ाए जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पहाड़ी क्षेत्रों के कई विद्यालय भवनों की खंडहर स्थिति को देखकर लगता है सरकार पहाड़ के सीधी-साधी जनता के साथ छलावा कर रही है।
गूमखाल की छत काफी जर्जर
यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र के द्वारीखाल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय गूमखाल की छत जर्जर होने के कारण थोड़ी बारश में ही टपकनी शुरू हो जाती है। ऊपर से स्कूल की छत गिरने का डर हर समय बच्चों के ऊपर मंडराता रहता है। फिर भी बच्चे जर्जर भवन पर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। शिक्षकों से पूछने पर वे कहते हैं कि इसके संबंध में कई बार विभाग को अवगत कराया गया है, लेकिन विभाग लगता है कि किसी अनहोनी का इंतजार कर रहा है।
सीएम धामी पहाड़ों पर कम छात्र संख्या से चिंतित
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अफसरों को निर्देश दिए हैं कि छात्र संख्या बढ़ाने की चुनौती से पार पाने के लिए सुधार के उपाय करें। इसके अलावा उन्होंने गुणात्मक शिक्षा के नए उपाय तलाशने के लिए भी गंभीरता से मंथन करने को कहा। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग तब तक बेस्ट प्रेक्टिस के तहत क्या कर सकता है, इस पर आज से ही ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य विद्यालयी शिक्षा के सभी स्तरों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हुए मानव का कल्याण करना है।
मानसून बच्चों के लिए खतरे की घंटी
प्रदेश में मानसून की बारिश शुरू हो चुकी है और ऐसे में प्राथमिक शिक्षा बदहाली का शिकार होने लगी है, क्योंकि जरा-सी बारिश से स्कूल भवनों में पानी टपकने लगता है। हमारे नौनिहाल इन जर्जर प्राथमिक स्कूलों में अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। मगर विभाग को इस बात का जरा भी अफसोस नहीं कि ऐसे हालात में बच्चों की पढ़ाई कैसे होगी।