
देहरादून। अब केदारनाथ पहुंचने के लिए घंटों नहीं, बल्कि मिनटों की बात कीजिए। दिल्ली मे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में सोनप्रयाग से केदारनाथ तक रोपवे निर्माण की अनुमति मिल गयी है। इसके अलावा गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक बनने वाले रोपवे के लिए पर्यावरण मंजूरी की आवश्यकता नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है केदारनाथ रोपवे
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में पीएम मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ रोपवे को मंजूरी मिल गयी है। सोनप्रयाग से केदारनाथ के लिए करीब 30 किलोमीटर लंबे रोपवे बनने से धाम की दूरी 30 मिनट में पूरी हो जायेगी। इसके अलावा बोर्ड बैठक में रामबाड़ा से गरुचट्टी तक साढ़े पांच किलोमीटर पैदल मार्ग के नवनिर्माण की भी अनुमति मिल गयी है। वन विभाग की अनुमति मिलने के बाद अब केदारनाथ रोपवे का निर्माण शुरू हो जायेगा। https://sarthakpahal.com/
दोनों रोपवे की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार
वन भूमि हस्तांतरण को बोर्ड की बैठक में मंजूरी मिल चुकी है। केदारनाथ धाम रोपवे के निर्माण के लिए 1200 करोड़ व हेमकुंड साहिब से गोविंदघाट के लिए 850 करोड़ रुपये की लागत आएगी। एनएचएआई की एजेंसी नेशनल हाईवे लाजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड ने दोनों रोपवे की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली है।
आठ घंटे का पैदल मार्ग रोपवे से 30 मिमट में होगा पूरा
समुद्रतल से साढ़े ग्यारह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम के लिए सोमप्रयाग से करीब 18-20 किलोमीटर का पैदल मार्ग है। इसे तय करने में यात्रियों को आठ घंटे का समय लगता है। रोपवे बन जाने से यह दूरी केवल आधे घंटे में तय हो जायेगी। यह क्षेत्र केदारनाथ वन प्रभाग गोपेश्वर के अंतर्गत आता है।