देहरादून। भाई दूज का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाने की परंपरा है। इस दिन बहन भाई के माथे पर टीका लगाती है और भाई की आरती उतारकर उसकी लम्बी आयु की कामना करती है।
मान्यता है कि इस दिन बहनों के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस साल भाईदूज पर्व की तिथियों पर भी उलझन की स्थिति बनी है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भाई दूज का त्योहार 26 और 27 अक्टूबर दोनों दिन मनाया जा सकता है। ज्योतिषयों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया जिस दिन दोपहर के समय होती है, उसी दिन यह त्योहार मनाना चाहिए। इसी दिन यमराज, यमदूत और चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए और इनके नाम से अर्घ्य और दीपदान करना चाहिए।
26 अक्टूबर को दोपहर बाद है शुभ मुहूर्त
26 अक्टूबर यानी बुधवार को दिन में दोपहर दो बजकर 43 मिनट से पर्व मनाना शुभ रहेगा, जो 27 अक्टूबर को दोपहर एक बजकर 18 मिनट से तीन बजकर 30 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य के अनुसार देश, काल और परिस्थिति के अनुसार उदया तिथि के हिसाब से भी त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में जहां लोग उदया तिथि मनाते हैं, वहां पर 27 अक्टूबर को भी इस त्योहार को मना सकते हैं। जिन महिलाओं के भाई दूर रहते हैं और वह अपने भाई तक नहीं पहुंच पाती हैं तो वो नारियल के गोले को तिलक लगाकर रख लें और फिर जिस किसी भी दिन मौका मिला, भाई के घर जाकर उन्हें यह गोला भेंट कर सकती हैं। https://sarthakpahal.com/