हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विवि में विवि के कुलसचिव को लेकर मचे घमासान के बीच विवि के कुलाधिपति डा. सतपाल सिंह ने कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री को निलंबित कर दिया है। शास्त्री ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी इंटरनेट के माध्यम से मिल रही है, पर अभी तक आधिकारिक तौर पर इसकी सूचना उन्हें नहीं दी गयी है। विवि के इतिहास में 100 साल में यह पहला मौका है जब किसी कुलपति को निलंबित किया गया है। आदेश में निलंबन का कारण नहीं बताया गया है।
मुझे हटाना अनुशासनात्मक कार्रवाई : रूप किशोर शास्त्री
रूप किशोर शास्त्री का कहना है कि कुलाधिपति को ऐसा करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि कुलाधिपति उनके जरिये विवि में कई तरह के अनधिकृत कार्य करना चाहते थे। उन्होंने दबाव बनाकर कुलसचिव पद पर अपने व्यक्ति सुनील कुमार को पदास्थापित कर दिया था। सुनील कुमार को उनकी विवि विरोधी गतिविधियों के कारण कुलसचिव से हटा दिया गया था, जिस पर नाराज होकर कुलाधिपति ने उन्हें पद से हटाकर अवैध कार्य किया है। उन्होंने दावा कि विवि के कुलपति वही हैं और आगे भी बने रहेंगे।
प्रो. सोमदेव शतांशु बने कार्यवाहक कुलपति
कुलसचिव विवाद गरमाने के बाद गुरुकुल कांगड़ी विवि में मचे घमासान के बीच कुलाधिपति डा. सतपाल सिंह ने प्रो. सोमदेव शतांशु को विवि का नया कुलपति नियुक्त कर दिया गया है। कुलाधिपति ने कहा कि कुलपति सोमदेव शतांशु ने अपना पदभार भी ग्रहण कर लिया है। हालांकि रूप किशोर शास्त्री इसका विरोध करते हुए कहते हैं कि सोमदेव शतांशु की नियुक्ति अवैध है और वे ही विवि के अभी भी कुलपति हैं।
शिक्षक और कर्मचारी यूनियनों ने किया स्वागत
कुलपति प्रो. रूप किशोर शास्त्री के निलंबन और प्रो. सोमदेव को कार्यवाहक कुलपति का चार्ज दिये जाने पर शिक्षक और कर्मचारियों ने उनका स्वागत किया है। शिक्षक यूनियन के अध्यक्ष प्रो. प्रभात कुमार ने कार्यवाहक कुलपति का फूलमालाओं से स्वागत किया तथा उन्होंने इस फैसले को शिक्षक और विश्वविद्यालय के हित में बताया। इस दौरान कुलपति रूप किशोर शास्त्री के समर्थक शिक्षक और कर्मचारी वहां से नदारद रहे। https://sarthakpahal.com/
गुरुकुल में तीस साल पहले माहौल
प्रो. रूप किशोर शास्त्री के निलंबन के बाद विवि परिसर में 30 साल जैसे माहौल पैदा हो गया है। 1991 में भी तत्कालीन कुलपति को कार्यकाल के बीच से ही हटा दिया गया था, तब अधिकांश शिक्षक और कर्मचारियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। इस बार भी विवि में ज्यादातर शिक्षक और कर्मचारियों ने कुलाधिपति के फैसले का स्वागत किया है। हालांकि मौजूदा घटनाक्रम में कुलपति को पद से नहीं हटाया गया है, बल्कि निलंबित किया गया है। प्रो. रूप किशोर शास्त्री के निलंबन और प्रो. सोमदेव को चार्ज देने की खबर पूरे विश्वविद्यालय परिसर में आग की तरह फैल गयी।