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अशासकीय स्कूलों में शिक्षक भर्ती में अंधा बांटे रेवड़ी….का खेल, बगैर आवेदन के नौकरी

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देहरादून। उत्तराखंड में अशासकीय स्कूलों में शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले को देखते हुए शासन ने भर्ती पर फिलहाल रोक लगा दी है। बताया जा रहा है कि इस रोक के पीछे 508 पीटीए शिक्षकों की नियुक्ति में हुई धांधली अहम मानी जा रही है। इस मामले में अपर शिक्षा निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने गढ़वाल मंडल के सभी मुख्य शिक्षाधिकारियों को जांच के निर्देश दिये हैं।

बगैर आवेदन लिए हो गयी 508 भर्तियां
अशोसकीय स्कूलों में 508 पीटीए शिक्षकों की नियुक्ति में धांधली का मामला सामने आ रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि इन नियुक्तियों को करने के लिए सारे कायदे कानून ताक पर रख दिये गये थे। पहले तो इन्हें बिना टीईटी पास किये ही नियुक्ति दे दी गयी है और फिर अधिकतर लोगों को तदर्थ और स्थाई भी कर दिया गया। शासन और शिक्षा महानिदेशालय के निर्देश पर इस मामले में अब जांच शुरू हो गयी है। सबसे बड़ा घोटाला तो ये सामने आ रहा है कि इन नियुक्तियों के लिए आवेदन तक नहीं मांगे गये।

‘अंधा बांटे रेवड़ी..’ वाली कहावत चरितार्थ
स्कूलों में शिक्षकों की कमी होने पर कामचलाऊ व्यवस्था के तहत शिक्षक अभिभावक संघ की ओर से शिक्षकों को रखा जाता है। ये पीटीए शिक्षक समय बाद मानदेय की परिधि में आ जाते हैं। तदर्थ शिक्षक को भी नियमित शिक्षक के बराबर वेतन मिलता है। नियम तो यही है कि इसके लिए योग्य उम्मीदवारों से आवेदन मांगे जाने चाहिए। और सबसे बड़ी बात तो यह है कि बिना टीईटी पास किए आप शिक्षक बन ही नहीं सकते। जिसका जुगाड़ होता है वो सब कुछ कर जाता है, चाहे वो अनपढ़ ही क्यों न हो। यहां पर अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है।

2017 के बाद हुई हैं नियुक्तियां
अशासकीय स्कूलों में जिन पीटीए शिक्षकों, तदर्थ और नियमित नियुक्तियों में धांधली की बात सामने आ रही है वो 2017 के बाद की हैं। शासन को मिली शिकायत में आरोप लगाया गया है कि शिक्षक अभिभावक संघ के जरिये नौकरी पाने वाले हर शिक्षक से 15-15 लाख रुपये की रकम तय की गयी थी। https://sarthakpahal.com/

प्रदेश में 2013 से टीईटी की व्यवस्था लागू है। इसके बाद जितनी भी नियुक्तियां हुई हैं, उसके लिए शिक्षक का टीईटी पास होना अनिवार्य है। यदि कोई बिना टीईटी के शिक्षक बना है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
महावीर सिंह बिष्ट, अपर शिक्षा निदेशक

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