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आखिर पहाड़ कब तक बर्दाश्त करता रहेगा इन जंगली हत्यारे गुलदारों को

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केएस रावत। पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड पर हत्यारे गुलदार कहर बनकर टूट पड़े हैं। आए दिन ये जंगली हत्यारे बच्चों को मौत के घाट उतारते रहे हैं, लेकिन वन विभाग के अफसरों की गहरी नींद न जाने कब टूटेगी। पिछले सात दिन में गुलदार पौड़ी और टिहरी से लेकर अल्मोड़ा तक 3 मासूम बच्चों को मौत की नींद सुला चुका है। 22 नवम्बर को पौड़ी, 24 नवम्बर को अल्मोड़ा और अब 27 नवम्बर को तीसरी घटना टिहरी जिले के घनसाली में हुई है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि जिस क्षेत्र में गुलदार किसी बच्चे को मारेगा, उस क्षेत्र के डीएफओ को जिम्मेदार मानते हुए तत्काल सस्पेंड कर दिया जायेगा, लेकिन आज तक ऐसी कोई कार्रवाई अभी तक हुई नहीं। इससे साफ जाहिर है कि सरकारें लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए केवल घोषणाएं करती रहती हैं।

13 साल के किशोर को मार डाला गुलदार ने
टिहरी जिले के राजस्व क्षेत्र बालगंगा के अंतर्गत मयकोट गांव में गुलदा ने 13 साल के किशोर अरनव चंद पुत्र रणवीर चंद को मार डाला। अरनव अपने दोस्तों के साथ खेलने के लिए गया था। देर शाम बच्चा जब घर नहीं पहुंचा तो परिजनों ने उसकी खोजबीन की। किशोर का शव जंगल में पाया गया। रास्ते में खून के धब्बे मिलने पर ग्रामीणों ने जंगल में उसकी तलाश की। रास्ते से 150 मीटर दूर झाड़ियों में रात ढाई तीन बजे अरनव का शव बरामद हुआ। रेंज अधिकारी प्रदीप चौहान ने बताया कि मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए पिलखी अस्पताल ले जाया गया।

पौड़ी जिले में इस साल अब तक पांच लोगों को मार चुका है गुलदार
पौड़ी में गुलदार की धमक के पहाड़ की शांत वादियां दहल रही हैं। इस साल गुलदार के हमला में जहां 20 से अधिक लोग घायल हुए हैं, वहीं 5 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। पौड़ी जिले के सबसे संवेदनशील क्षेत्र पाबौ, पैठाणी, दुगड्डा और थलीसैंण हैं। 15 मई 2022 को गुलदार ने पाबौ के ही सपलोड़ी गांव में एक महिला को मार दिया था। 24 मई 2022 को कुलमोरी गांव में एक महिला पर हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। 2 जून को भट्टी गांव में एक महिला को मारने के बाद 19 जुलाई को गुलदार ने खिर्सू विकासखंड के सिंगोरी गांव निवासी एक व्यक्ति को हमलाकर घायल कर दिया था। गुलदार के आतंक से ग्रामीण घर छोड़ने को मजबूर हो रहे हैं।

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