कोटद्वार। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवा भगवान भरोसे चल रही है। ऊपर वाले ने चाहा तो सब कुछ ठीक अन्यथा अनहोनी तो होनी ही है। सच्चाई तो यह है कि पहाड़ों पर स्वास्थ्य सुविधाएं दिनोंदिन बदतर ही होती जा रही है। पहाड़ों में कहीं कहीं तो स्थिति इतनी खतरनाक है कि वार्ड ब्वाय और फार्मेसिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहे हैं। मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहे पहाड़ों पर स्वास्थ्य सेवाएं कितनी बदहाल है, इसका ताजा उदाहरण तब देखने में आया जब एक महिला को समय से इलाज न मिलने पर उसे जीएमओयू की बस में बच्चे को जन्म देना पड़ा। पहाड़ों पर स्वास्थ्य परीक्षण अभी भी सपना ही है।
डाक्टर की लापरवाही से जान भी जा सकती थी
पौड़ी गढ़वाल के नैनीडांडा इलाके में कोटद्वार आ रही जीएमओयू की बस में एक महिला ने स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है। नैनीडांडा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर ने बिना जांच किये ही उसे अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट लाने को कहा। महिला अपने पति के साथ 90 किलोमीटर दूर कोटद्वार बेस अस्पताल के लिए रवाना हो गयी। तभी बस में महिला की हालत अचानक खराब हो गयी। तब बस में सवार दूसरी महिलाओं ने बस में ही डिलीवरी कराना उचितस मझा।
कोटद्वार के सिद्धबली मंदिर के पास हुई डिलीवरी
जानकारी के अनुसार बस को दुगड्डा रोड पर सिद्धबली मंदिर के पास रोक दिया गया। आनन-फानन में महिला को बस की सीट पर लिया दिया गया और बस के अंदर ही महिला की डिलीवरी कराई गयी। इसके बाद 108 की मदद से महिला और बच्चे को अस्पताल पहुंचाया गया, फिलहाल जच्चा बच्चा दोनों कोटद्वार बेस अस्पताल में सुरक्षित हैं। एंबुलेंस में तैनात ईएमटी सीता ठाकुर ने बताया कि महिला ने बताया कि बच्चे पेट में उल्टा हो गया था, जिसके कारण खतरा अधिक था।
चिकित्सक की ओर से महिला को समुचित उपचार नहीं किये जाने का मामला गंभीर है। मामले की जांच के निर्देश दिये गये हैं। जांच में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जायेगी।
डा. प्रवीन कुमार, सीएमओ, पौड़ी