उत्तराखंड में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण व्यवस्था फिर से होगी लागू
देहरादून। उत्तराखंड में विधानसभा सत्र के दूसरे दिन महिला क्षैतिज आरक्षण और धर्मांतरण को लेकर कठोर कानून व्यवस्था लागू हो गयी है। प्रदेश में महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था पर सरकार ने कानून बनाकर बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
क्या है महिला आरक्षण बिल
उत्तराखंड लोकसेवा (महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण) विधेयक 2022 के तहत राज्य की महिलाओं को सरकारी सेवाओं में 20 से 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी। यह प्रावधान उन महिलाओं के लिए किया जा रहा है जो राज्य गठन के दौरान तत्कालीन सरकार ने 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण शुरू किया था। जुलाई 2006 में इसे 30 प्रतिशत कर दिया गया था।
महिलाओं को 30 प्रतिशशत आरक्षण सरकार की बड़ी उपलब्धि
इसी साल हरियाणा और अन्य प्रदेशों की महिलाओं पर जब क्षैतिज आरक्षण का लाभ नहीं मिला तो उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने महिला आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाकर आरक्षण को बरकरार रखा। अब सरकार ने इस विधेयक को सदन में पास करवाकर इसे कानूनी रूप दे दिया है जो कि मौजूदा सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री धामी ने क्षैतिज आरक्षण को लेकर कहा कि उत्तराखंड निर्माण में मातृशक्ति का बहुत बड़ा योगदान है और सरकार ने मातृशक्ति का सम्मान करते उन्हें क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था को एक बार फिर लागू करवा दिया है।
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