पिरान कलियर (रुड़की)। रुड़की में पिरान कलियर की सड़कों पर दो वक्त की रोटी के लिए हाथ फैलाने वाला भिखारी बच्चा करोड़ों की जायदाद का मालिक निकला। दरअसल उसके दादा ने मरने से पहले वसीयत में अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी। वसीयत लिखे जाने के बाद परिजन उसे ढूंढ रहे थे।
यूपी के सहारनपुर के गांव पंडोली में रहने वाली इमराना पति मोहम्मद नावेद के निधन के बाद 2019 में अपने ससुरालवालों से नाराज होकर अपने मायके यमुनानगर चली गयी थी। वह अपने साथ करीब छह साल के बेटे शाहजेब को भी ले गयी थी।
कोरोना ने छीन लिया था मां का आंचल
घर छोड़ने से पहले ससुराल पक्ष के लोगों ने उसे मनाने की बहुत कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी। मायके जाने के बाद वह अपने मासूम बच्चे को लेकर कलियर आ गयी। परिजनों ने उन्हें काफी ढूंढा, लेकिन मां-बेटा का कुछ पता नहीं चला। इस समय कोरोना महामारी का आतंक पूरे विश्व में चरम पर था। इसी कोरोना ने इमराना का साया भी मासूम बच्चे से छीन लिया। तब से सड़ककों पर, कभी होटलों में लावारिस जिंदगी जी रहा शाहजेब भीख मांगकर गुजारा कर रहा था।
मरते दम तक दादा को उम्मीद थी कि पोता जरूर आएगा
पहले बहू का घर छोड़कर जाना और उसके बाद बेटे की मौत से दादा सदमे में थे। हिमाचल के एक स्कूल से रिटायर याकूब की दो साल पहले मौत हो चुकी है। उसके दो बेटों में से नावेद का निधन हो चुका है, जिसका बेटा शाहजेब है। दूसरे बेटे जावेद का परिवार सहारनपुर में ही रहता है। दादा ने मरने से पहले अपनी वसीयत में लिखा था कि जब कभी भी मेरा पोता वापस आए तो उसे आधी जायदाद सौंप दी जाए। https://sarthakpahal.com/