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सीएम धामी ने खेत में चलाया हल, धान की रोपाई की; किसानों के श्रम को किया नमन

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खटीमा, 5 जुलाई। खटीमा के नगरा तराई क्षेत्र में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के परिश्रम, त्याग और समर्पण को नमन किया। सीएम ने कहा कि खेतों में उतरकर पुराने दिनों की यादें ताजा हो गईं। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि किसान न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि संस्कृति और परंपरा के वाहक भी हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं, बल्कि वे हमारी संस्कृति और परंपराओं के संवाहक भी हैं। उन्होंने आगे लिखा कि खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई करके और किसानों की कड़ी मेहनत, त्याग और समर्पण का अनुभव करके मुझे पुराने दिन याद आ गए। उन्होंने आगे लिखा कि इस अवसर पर उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा ‘हुड़किया बौल’ के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र, छाया के देव मेघ की वंदना भी की।
क्या है ‘हुड़किया बौल’?
बता दें कि उत्तराखंड अपनी लोक संस्कृति के लिए दुनियाभर में मशहूर है। इसी संस्कृति का एक हिस्सा रोपाई से जुड़ा हुआ है, जिसे ‘हुड़किया बौल’ कहा जाता है। हुड़किया बौल की परंपरा खेती और सामूहिक श्रम से जुड़ी है। बता दें कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में धान की रोपाई के समय गाया जाने वाला यह एक पारंपरिक लोकगीत है। यह एक सामूहिक गायन और वादन की विधा है, जिसमें हुड़का नामक वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है। महिलाएं धान रोपते समय इस गीत को गाती हैं और पुरुष हुड़का बजाते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर कर लिखा- खटीमा के नगरा तराई में अपने खेत में धान की रोपाई कर किसानों के श्रम, त्याग और समर्पण को अनुभव कर पुराने दिनों का स्मरण किया। अन्नदाता न केवल हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं बल्कि संस्कृति और परंपरा के संवाहक भी हैं। इस अवसर पर उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा “हुड़किया बौल” के माध्यम से भूमि के देवता भूमियां, पानी के देवता इंद्र, छाया के देव मेघ की वंदना भी की।देश विदेश की ताजा खबरों के लिए देखते रहिये https://sarthakpahal.com/

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