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फिल्मी पर्दे पर मशहूर अभिनेता-निर्देशक सतीश कौशिक का 66 साल की आयु में निधन

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मुंबई। बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता और निर्देशक सतीश कौशिक का आज गुरुवार तड़के निधन हो गया। उन्होंने 66 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कहा। अभिनेता अनुपम खेर ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी। उन्होंने सतीश कौशिक को श्रद्धांजलि दी है।

अनुपम खेर ने ट्वीट किया, जानता हूं ‘मृत्यु ही इस दुनिया का अंतिम सच है!’ पर ये बात मैं जीते जी कभी अपने जिगरी दोस्त सतीश कौशिक के बारे में लिखूंगा, ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। 45 साल की दोस्ती पर ऐसे अचानक पूर्णविराम! ओम ् शांति! उन्होंने आगे लिखा कि, सतीश तुम्हारे बिना जिंदगी अब पहले जैसे नहीं रहेगी।

फिल्म मिस्टर इंडिया से मिली थी पहचान
सतीश कौशिक का जन्म 13 अप्रैल 1956 हरियाणा के महेंद्रगढ़ में हुआ था। उन्होंने अपने अभिनय करियर की शुरुआत 1983 में आई फिल्म ‘मासूम’ से की थी। एक फिल्म अभिनेता के रूप में सतीश कौशिक को 1987 में आई फिल्म मिस्टर इंडिया से पहचान मिली थी। इसके बाद उन्होंने 1997 में ‘दीवाना मस्ताना’ में पप्पू पेजर का किरदार निभाया था। उन्होंने 1990 में ‘राम लखन’ के लिए और 1997 में ‘साजन चले ससुराल’ के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता) भी जीता था।

‘रूप की रानी चोरों का राजा’ थी बतौर निर्देशक पहली फिल्म
बॉलीवुड में अपना ब्रेक पाने से पहले उन्होंने थिएटर में काम किया था। थिएटर अभिनेता के रूप में उनकी सबसे प्रसिद्ध भूमिका हिंदी के नाटक ‘सेल्समैन रामलाल’ में की थी। बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म ‘रूप की रानी चोरों का राजा’ (1993) थी, जिसमें श्रीदेवी मुख्य भूमिका में थीं। निर्देशक के रूप में उनकी पहली हिट फिल्म ‘हम आपके दिल में रहते हैं’ थी, जो 1999 में रिलीज हुई थी। 2005 में, कौशिक ने अर्जुन रामपाल, अमीषा पटेल और जायद खान अभिनीत फिल्म वादा का निर्देशन किया था। 2007 में कौशिक ने अनुपम खेर के साथ मिलकर करोल बाग प्रोडक्शंस नामक एक नई फिल्म कंपनी शुरू की। इस बैनर तले उनकी पहली फिल्म तेरे संग थी, जिसका निर्देशन सतीश कौशिक ने किया था।

दिल्ली में हुई थी स्कूली पढ़ाई
सतीश कौशिक की स्कूली पढ़ाई दिल्ली में हुई थी। किरोड़ीमल कॉलेज से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में एडमिशन लिया था। उन्होंने 1983 में बॉलीवुड में कदम रखा। 1985 में उन्होंने शशि कौशिक से शादी की। लेकिन शादी के बाद उनके जीवन में दुखों का पहाड़ टूटा जब उनके बेटे का दो साल की उम्र में निधन हो गया था। https://sarthakpahal.com/

कहते हैं कि इंसान को कभी भी परेशानियों से परेशान होकर कभी भी नाउम्मीद नहीं होना चाहिए, क्योंकि खुशियां कभी भी दस्तक दे सकती हैं। सतीश कौशिक के जीवन में भी कुछ ऐसा ही चमत्कार हुआ। बेटे की मौत के 16 साल बाद साल 2012 में उनके घर में फिर से किलकारियां गूंजी। सरोगेसी की मदद से उनके घर बेटी ने जन्म लिया, जिससे उनके घर में फिर से खुशियों ने दस्तक दी थी।

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