उत्तराखंडबड़ी खबरमनोरंजनयूथ कार्नरशिक्षा

बिथ्याणी राजकीय महाविद्यालय में एबीवीपी का सूपड़ा साफ, निर्दलीयों का डंका

Listen to this article

यमकेश्वर। कोरोना काल में दो साल तक छात्र संघ चुनाव नहीं हो पाये थे। सरकार की अनुमति मिलने के बाद शनिवार को प्रदेश के 123 महाविद्यालयों में सुबह नौ बजे से मतदान शुरू हो गया था, जो दोपहर दो बजे तक चलता रहा। पुलिस के कड़े पहले के बीच छात्र-छात्राओं को मतदान स्थल तक जाने दिया गया। मंगलवार को शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया शनिवार को परिणाम घोषित होते ही संपन्न हो गयी।

डिग्री कालेज बिथ्याणी में एबीवीपी चारों खाने चित्त


राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी में एबीवीपी और निर्दलीयों के बीच सीधी टक्कर थी, लेकिन चुनाव नतीजों से लगा कि एबीवीपी कहीं भी निर्दलीयों से मुकाबला करते नहीं दिखी। शनिवार को छात्र संघ अध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी प्रेरणा बडोला को जहां 101 मत मिले, वहीं उनको सीधी टक्कर दे रही एबीवीपी की महक नेगी को महज 52 वोट पर ही संतोष करना पड़ा। चुनाव परिणामों से विजयी प्रत्याशियों के चेहरे खिल उठे। अंत में चुनाव अधिकारी ने विजयी प्रत्याशियों को गोपनीयता की शपथ दिलाई।

उपाध्यक्ष पद के लिए साक्षी गिरी और सुशांत सिंह के बीच मुकाबला था। जहां निर्दल साक्षी गिरी को 97 वोट वहीं, वहीं एबीवीपी के सुशांत को मात्र 56 वोटों पर ही संतोष करना पड़ा। महासचिव पद के चुनाव में हुए मतदान में निर्दलीय प्रत्याशी सागर बिंजोला 88 मत पाकर विजयी हुए, वहीं उनके खिलाफ अनामिका को 64 वोट मिले। सह सचिव के लिए निर्दल लक्ष्मी और हिमांशु के बीच मुकाबला था, जिसमें लक्ष्मी को 92 और हिमांशु सिंह को 62 मत मिले। कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनाव में निर्दल निकिता और नितिका के बीच मुकाबला था, जिसमें निकिता 93 वोट पाकर विजयी हुई, जबकि नितिका को 56 वोट पर ही अटक गयीं। विश्वविद्यालय प्रतिनिधि के लिए अमन और करन के बीच मुकाबला था, जिसमें अमन ने 83 वोट पाकर करन 69 को पटखनी दी।

भाजपा के लिए खतरे की घंटी
डिग्री कालेज में छोटी सरकार के लिए हुए चुनाव में एक बात तो साफ हो गयी है कि जिस तरह निर्दलीय प्रत्याशियों ने एबीवीपी को धूल चटाई, आने वाले समय में यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के लिए कहीं न कहीं खतरे की घंटी साबित होंगे, क्योंकि इन चुनावों को राजनीतिक दलों का सीधे समर्थन रहता है। वैसे भी अंकिता भंडारी हत्याकांड को लेकर छात्रों और युवकों में भारी रोष अभी भी व्याप्त है। और इस हत्याकांड में रेनू बिष्ट की जिस तरह संदिग्ध भूमिका नजर आई, बार-बार उनका नाम सामने आया, उसका असर भी डिग्री कालेज के चुनाव में अवश्य पड़ा है, जिसका नतीजा है कि एबीवीपी का बिथ्याणी डिग्री कालेज में कोई नाम लेने वाला भी नहीं बचा।

ताजा खबरों के लिए पढ़ते रहिये https://sarthakpahal.com/

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button