‘चेले’ के राज में ‘गुरु’ की वापसी से उत्तराखंड की राजनीति में भूचाल, कानाफूसी शुरू
केएस रावत। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के राजभवन को अलविदा कह देने के बाद उत्तराखंड की राजनीति में संभावित भूचाल के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि गणतंत्र दिवस के बाद किसी भी दिन कोश्यारी अपने पद से इस्तीफा देकर देहरादून का आ सकते हैं। इस खबर से उत्तराखंड में बीजेपी ही नहीं विपक्षी नेताओं के भी कान खड़े हो गए हैं। शनिवार को कोश्यारी अचानक देहरादून में कैबिनेट मंत्री की बेटी की शादी में पहुंचे थे।
युवाओं में सरकार को लेकर बेहद नाराजगी
कोश्यारी की महाराष्ट्र से विदाई और उत्तराखंड में आगमन ठीक ऐसे वक्त हो रहा है, जब राज्य में जोशीमठ की आपदा से हाहाकार मचा है। जोशीमठ के लोग सरकार की अनदेखी को जिम्मेदार मानते हुए आज भी धरने पर बैठे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के लगातार पेपर लीक होने से राज्य के युवाओं में भारी नाराजगी है। विधानसभा में 2016 के बाद बैकडोर भर्ती हुए कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी के खिलाफ धरना दे रहे हैं। कुल मिलाकर खासकर युवाओं में सरकार के खिलाफ बेहद नाराजगी है।
कोश्यारी के देहरादून पहुंचने को लेकर कानाफूसी शुरू
उम्र के लिहाज से देखें तो कोश्यारी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बन पाएंगे इसमें संशय है। मगर, जो हालात हैं उनके चलते कोश्यारी सभी धड़ों में सामंजस्य बैठाते हुए पार्टी को लाभ पहुंचाने की स्थिति में जरूर हैं। प्रधानमंत्री ने भी मुंबई में कहा था कि कोश्यारी को वे तब से जानते हैं, जब उत्तराखंड के पार्टी प्रभारी बने थे। मुख्यमंत्री धामी कोश्यारी के चेले माने जाते हैं। गुरु के आने पर राज्य में दो उथल-पुथल होने की संभावना है। कोश्यारी के देहरादून पहुंचने के बाद उनकी क्या भूमिका होगी, इसको लेकर कानाफूसी शुरू हो गई है।
बीजेपी में असंतुष्टों की संख्या तेजी से बढ़ रही
दूसरी तरफ, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत यदा-कदा धामी पर शब्द बाण छोड़कर पिछले दिनों से अपने मन की भड़ास निकालते रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने दिल्ली पहुंचकर केंद्रीय कमान के सामने उन्हें बैठाकर इस तरह के सार्वजनिक बयान देने से बचने को कहा था। आने वाले लोकसभा चुनावों में ऐसी स्थितियों को बीजेपी के लिए अच्छा नहीं माना जा रहा। https://sarthakpahal.com/