देहरादून। उत्तराखंड की झांकी मानसखंड को देश मे प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में उत्तराखंड राज्य का नाम दर्ज हो गया है। गणतंत्र दिवस परेड को अभी तक राजपथ के नाम से जाना जाता था, किंतु इस वर्ष उसका नाम बदलकर कर्तव्य पथ रखा गया है। नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह पहली परेड थी।
स्कंद पुराण में मानसखंड का वर्णन मिलता है
मुख्यमंत्री धामी ने इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि हम सबके लिए गौरवशाली है। पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड में बताया गया कि जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है। मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है।
मानसखंड झांकी का सुझाव सीएम ने सुझाया था
बता दें कि भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय मानसखंड मुख्यमंत्री धामी ने सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था। इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को झांकी को दिखाया गया था। https://sarthakpahal.com/
झांकी में घुघुती, तीतर, मोनाल को दिखाया गया
उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाया जाता है, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि व उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को प्रदर्शित किया गया था। झांकी के आगे पीछे उत्तराखंड का नाम ऐपण कला से लिखा गया था।
छोलिया नृत्य ने खींचा सबका ध्यान
टीम लीडर संयुक निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में झांकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए प्रसिद्ध छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया गया। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है। झांकी के ऊपर बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। झांकी का थीम सांग ‘जय हो कुमाऊं, जय हो गढ़वाला’ को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था। उसको सौरभ मैठाणी और साथियों ने सुर दिया था। इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया निवासी देहरादून थे।