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कल होने वाली पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा को लेकर संशय, आंदोलनकारी अभी भी अड़े

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देहरादून। कल होने वाली पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा को लेकर अभी भी संशय बरकरार है, क्योंकि आंदोलनकारी अभी भी सीबीआई जांच की मांग लोकर अड़े हैं। भर्ती घोटालों पर युवाओं के उबाल को देखते हुए शुक्रवार देर रात तक कचहरी परिसर में डटे बेरोजगार युवाओं की मांगों को लेकर मुख्यमंत्री ने डीएम सोनिका को मध्यस्थता के आदेश दिए। डीएम ने रात करीब नौ बजे एसएसपी दलीप सिंह कुंवर, देहरादून बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों व प्रशासन के आला अधिकारियों की उपस्थिति में बेरोजगार युवाओं के प्रतिनिधिमंडल को वार्ता के लिए बुलाकर बात की।

सरकार परीक्षा कराने पर अड़ी, आंदोलनकारी अभी भी डटे
देर रात प्रदर्शनकारियों से वार्ता में जिलाधिकारी ने सरकार के कड़े निर्णयों की जानकारी दी। सरकार ने फैसला कर लिया है कि कल होने वाली परीक्षा हर हाल में संपन्न होगी। उन्होंने बताया कि सीबीआइ जांच की एक अपील हाई कोर्ट पहले ही अस्वीकार कर चुकी है। इस पर सुबह से रात तक चला गतिरोध कुछ हद तक टूटा जरूर, लेकिन कुछ युवा लेखपाल भर्ती परीक्षा स्थगित करने की जिद पर अड़े रहे। उनका कहना है कि लेखपाल पटवारी भर्ती परीक्षा पेपर लीक में कुछ भाजपा नेता फंस रहे हैं, इसलिए सरकार सीबीआई जांच से डर रही है। उनका कहना था कि पेपर लीक कराने वालों का नाम उजागर कर उसकी निष्पक्ष जांच की जाय फिर दोबारा परीक्षा कराई जाए। पुलिस-प्रशासन देर रात तक उन्हें मनाने का प्रयास करता रहा। सरकार ने कहा कि परीक्षा के लिए पूरी तैयारी हो चुकी है और अब इसे स्थगित करना मुमकिन नहीं है। तमाम प्रयासों के बाद अधिकतर युवा मान गए और रात 10 बजे कचहरी परिसर खाली किया। हालांकि, 60 से 70 युवा अपनी मांगों को लेकर जिद पर अड़े रहे।

हाईकोर्ट के सिटिंग जज करेंगे लेखपाल भर्ती परीक्षा की जांच
बेरोजगार संघ की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बाद राज्य सरकार ने फैसला किया है कि पटवारी भर्ती पेपर लीक की एसआईटी जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराई जाएगी। हाईकोर्ट कह चुका है कि जांच सही दिशा में चल रही है, इसलिए इस प्रकरण की सीबीआई जांच नहीं कराई जा सकती। कहा गया कि आंदोलनकारी युवाओं की मांग थी कि पटवारी भर्ती का प्रश्नपत्र बदला जाए। आयोग पहले ही पुराने प्रश्नपत्र रद्द कर नए प्रश्नपत्र तैयार कर चुका है। https://sarthakpahal.com/

उधर, राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) ने नकलरोधी कानून के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ यह कानून पूरे प्रदेश में लागू हो गया। और परीक्षा नियंत्रक को भी हटाया जा चुका है। इसलिए अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं।

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