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सरकारी स्कूलों में अब छह साल से पहले नहीं होगा बच्चे का एडमिशन

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नई दिल्ली। जल्द ही सरकारी स्कूलों में प्रवेश के लिए अब छह साल से अधिक उम्र का नियम लागू होने जा रहा है। इस कारण अब छह साल से कम आयु के बच्चों का एडमिशन पहली कक्षा में नहीं हो पाएगा, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि अगर बच्चा छह साल का पूरा होने में एक दो या तीन महीने पीछे है तो ऐसे में उसे कैसे एडमिशन मिल पाएगा। फिलहाल अलग-अलग राज्यों में बच्चे के एडमिशन का नियम अलग-अलग है।

नए सत्र जुलाई से लागू होगी नई शिक्षा नीति
सीयूईटी के बाद अब सरकार नये सत्र से स्कूल स्तर पर नई शिक्षा नीति (NEP) को पूरी तरह लागू करना चाहती है। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए न्यूनतम उम्र छह साल तय करने का निर्देश जारी दिया है। ये नई पहल स्कूल स्तर पर केवल प्रवेश में ही नहीं स्कूली बल्कि शिक्षा में कई तरह के बदलाव लाने जा रही है।

उम्र का दायरा छह साल करने का फायदा क्या होगा
अभिभावकों के मन में सबसे पहले ये सवाल ये है कि आखिर उम्र को लेकर नियम बनाने के पीछे सरकार की मंशा क्या रही होगी। इन सवालों के जवाब में सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन अशोक गांगुली कहते हैं कि सबसे पहले तो हमें इस टैबू को खत्म करना होगा कि बच्चा सात साल का हो गया तो पहली कक्षा के लिए उम्र बहुत ज्यादा हो जाएगी। भारत में इसे लेकर लोग बहुत बात करते हैं कि बच्चे किस उम्र में क्या पढ़ रहे। बच्चों को जल्दी स्कूल भेजने का जैसे ट्रेंड बन गया है।

आयु में तीन महीने से ज्यादा की छूट मान्य नहीं
इसके जवाब में सीबीएसई बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि देश के कई प्रदेशों में शैक्षण‍िक सत्र अप्रैल से शुरू शुरू होता है। यदि बच्चा जुलाई में छह साल का होने वाला है तो उसकी उम्र की गणना अप्रैल से करनी चाहिए। यदि जुलाई में 6 साल का होने में तीन माह कम हैं तो अप्रैल में स्कूल में प्रवेश ले ले। जुलाई में उसकी उम्र छह साल हो जाएगी, लेकिन आयुसीमा में तीन माह से ज्यादा की छूट नहीं दी जानी चाहिए। https://sarthakpahal.com/

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