देहरादून। उत्तराखंड परिवहन निगम ने 2019 के लिए दिल्ली के लिए सीएनजी बसों का संचालन शुरू किया था, लेकिन रखरखाव ठीक से न होने के कारण आज ये बसें कपड़े सुखाने के काम आ रही हैं, जबकि अनुबंधित सीएनजी बसें दिल्ली के लिए चल रही हैं। रोडवेज की सीएनजी बसें ट्रांसपोर्ट नगर में धूल फांक रही हैं।
2019 में शुरू हुआ था पाइप लाइन बिछाने का काम
2019 में गेल (गैस अथारिटी आफ इंडिया) के साथ देहरादून से दिल्ली सीएनजी लाइन बिछाने का करार हुआ था। इसी के तहत उत्तराखंड परिवहन के 5 सीएनजी बसें संचालन के लिए मिली थीं। ये बस एक बार फुल सीएनजी भराने पर 1,141 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकेगी। फायदा को देखते हुए रोडवेज ने 100 और सीएनजी बसों को खरीदने का निर्णय लिया, लेकिन कई साल गुजर जाने के बाद भी जब इन बसों की खरीद के लिए अनुमति नहीं मिली तो रोडवेज ने अनुबंधित बसों का सहारा लिया। https://sarthakpahal.com/
कपड़े सुखाने के काम आ रही सीएनजी बसें
आज रोडवेज की सीएनजीबसें कबाड़ हो चुकी हैं। रोडवेज कर्मी इन बसों का इस्तेमाल अपने घरेलू कपड़े, अंडरवियर आदि सुखा रहे हैं। वैसे ये बसें उत्तराखंड परिवहन को गेल कंपनी की तरफ ट्रायल के तौर पर दी गयी थीं। ट्रायल के कारण उत्तराखंड परिवहन ने इनका कोई भुगतान नहीं किया था, लेकिन जब डीजल के खर्च के मुकाबले इन बसों के संचालन में मुनाफा हुआ तो निगम ने 100 और बसें खरीदने का निर्णय लिया, लेकिन दुर्भाग्य से इन बसों की खरीद के लिए निगम को अनुमति नहीं मिली। लिहाजा इन बसों के संचालन पर ध्यान नहीं दिया गया, जिस कारण ये बसें अब ट्रांसपोर्ट नगर में पड़ी हैं।
क्या है सीएनजी बसोंं की खासियत
बस में हल्का कम्पोजिट सिलिंडर लगाया गया है, जिसकी कीमत 10 से 11 लाख रुपये है। इसका भार मौजूदा सीएनजी सिलिंडर के मुकाबले करीब 70 फीसदी कम होगा। इस नए सिलिंडर में 225 से 275 किलोग्राम सीएनजी भरी जा सकेगी, जबकि अभी जो सीएनजी बसें मौजूद हैं, उनके सिलिंडर में 80 से 100 किलोग्राम तक ही सीएनजी भरी जा सकती है।
सीएनजी बसें खड़ी हैं, इसकी जानकारी मेरे संज्ञान में नहीं है। अगर ऐसा है तो इसकी जांच कराई जायेगी। हो सकता है कि कुछ तकनीकी खामियों के कारण रिपेयर के लिए लाई गयी हों।
दीपक जैन, जीएम रोडवेज