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बॉलीवुड में चमका पौ़ड़ी गढ़वाल का एक और ‘हीरा’, सुशील बौंठियाल

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यमकेश्वर। अक्षय कुमार की फिल्म ‘सेल्फी’ में अपने जानदार अभिनय के बलबूते उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल के सुशील बौंठियाल बड़े परदे पर छा गए हैं। उनकी आने वाली फिल्म ‘कागज-2’ के अलावा वेबसीरीज ‘एके-47’ जल्द रीलीज होने वाली है। बालीवुड में उत्तराखंड की प्रतिभा लगातार निखर रही है।  https://sarthakpahal.com/

अक्षय कुमार अभिनीत फिल्म ‘सेल्फी’ से छाया
बालीवुड में बड़े स्टारकास्ट के साथ उनकी यह पहली फिल्म है। फिल्म में उन्होंने आरटीओ अधिकारी का शानदार अभिनय किया। मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल जिले के लैंसडौन ब्लाक के बौंठ गांव के सुशील बौंठियाल का परिवार लखनऊ में रहता है, जबकि वह मुंबई में रहते हैं। पिता स्व. दिनेश चंद्र बौंठियाल लखनऊ में राजस्व परिषद में क्लर्क की नौकरी करते थे, जबकि मां सरिता बौंठियाल गृहणी हैं। सुशील की प्राथमिक शिक्षा बौंठ गांव में ही हुई है।

लखनऊ में की रंगमंच की शुरूआत
पिता की नौकरी लखनऊ में थी तो आगे की पढ़ाई के लिए सुशील लखनऊ चले गए। रंगमंच की शुरूआत भी उन्होंने यहीं से की। नेशनल स्कूल आफ ड्रामा से पासआउट होने के बाद छोटे पर्दे पर काम मिला। टीवी शो फुलवा में बिंदास पिता की भूमिका से विशेष पहचान बनाने वाले सुशील बौंठियाल ने अभिनेत्री माधुरी दीक्षित व जूही चावला के साथ फिल्म गुलाब गैंग, इरफान खान व शाहरुख खान की बिल्लू, पंकज त्रिपाठी के कागज फिल्म में भी कार्य किया। सुशील ने कहा कि हर एक कलाकार की कोशिश रहती है कि वह बेहतर से बेहतर करे। बड़ों का साथ और दर्शकों का प्यार आगे प्रोजेक्ट को लेकर भी मिलता रहेगा।

जून तक रिलीज होगी फिल्म व वेबसरीज
सुशील ने बताया कि दो वेबसीरीज व एक नई फिल्म तैयार हो चुकी है। जो जून तक रिलीज हो जाएगी। वेबसीरीज एके-47 में शेखर सुमन व रवि किशन के साथ बाहुबली की भूमिका निभाई है। तिवारी वेबसीरीज में उर्मिला मातोंडकर के साथ काम किया, इसमें उन्होंने पुलिस कमिश्नर का किरदार मिला। इसके अलावा फिल्म कागज-2 में अभिनेता अनुपम खेर के छोटे भाई के रूप में दिखूंगा।

उत्तराखंड फिल्म शूटिंग के लिए पहली पसंद
उत्तराखंड में फिल्म शूटिंग को लेकर सुशील ने बताया कि पहले जहां पहाड़ों के लिए विशेषतौर पर जम्मू, हिमाचल पसंदीदा जगह हुआ करते थे, लेकिन अब फिल्म निर्माता बालीवुड शूटिंग के लिए उत्तराखंड की ओर रुख कर रहे हैं। उनका कहना था कि अधिक शूटिंग होने से जहां उत्तराखंड का नाम और यहां की संस्कृति का प्रसार होगा, वहीं स्थानीय युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध होगा। उत्तराखंड के कलाकारों में काबलियत है कि वह किसी भी परिस्थिति में बेहतर कर सकते हैं।

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