पौड़ी। करीब 11 साल पहले 9 फरवरी 2012 को दिल्ली के छावला इलाके में रहने वाली उत्तराखंड पौड़ी गढ़वाल की बेटी किरण नेगी जब अपने आफिस से घर लौट रही थी, तभी तीन हैवानों राहुल, रवि और विनोद ने उसे अगवा कर उसके साथ जो हश्र किया वो किसी का भी कलेजा चीर कर रख देगा। इस मामले में निचली अदालत ही नहीं, बल्कि हाईकोर्ट ने भी तीनों बहशी दरिंदों को फांसी की सजा सुनाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन तीनों बहशी दरिंदों को वरी कर दिया था।
माता-पिता ने बेटी को इंसाफ दिलाने को मांगा सहयोग
वीरवार को देहरादून में प्रेस वार्ता के दौरान किरण नेगी के माता-पिता ने कई संगठनों के साथ राज्य के लोगों से मुहिम में शामिल होने के लिए और बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए सहयोग की अपील की है। दिल्ली से देहरादून पहुंची परी फाउंडेशन की संस्थापक योगिता भयाना ने कहा कि वे क्यूरेटिव पिटिशन फाइल करेंगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कई सवाल
परी फाउंडेशन की संस्थापक योगिता भयाना का कहना है कि अगर हमारे एवीडेंस में कमी थी तो उसमें किसकी लापरवाही रही। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर आरोपियों ने किरण को नहीं मारा था, तो फिर किसने मारा। उन आरोपियों को तलाशने की जिम्मेदारी किसकी है। उन्होंने उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से भी मदद की अपील की है।
उत्तराखंड को जागना होगा
किरण नेगी के पिता ने कहा कि बेटी के सवाल पर उत्तराखंड को जागना होगा। बेटी की मौत कोई सामान्य घटना नहीं है। जब तक सब लोग सड़क पर नहीं आएंगे, हमारी बहू-बेटियों को इंसाफ नहीं मिलेगा। हमारे पैरों में 11 साल से न्याय के लिए छाले पड़ गये, लेकिन बेटी को इंसाफ नहीं दिला पाए। पत्रकार वार्ता में अखिल भारतीय उपभोक्ता समिति से ब्रिगेडियर केजी बहल, स्वतंत्रता संग्रा सेनानी उत्तराधिकारी कल्याण समिति से मुकेश नारायण शर्मा, संयुक्त नागरिक संगठन से सुशील त्यागी, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच से प्रतीप कुकरेती, पेंशनर संगठन के चौधरी ओमवीर सिंह, हरजीत सिंह सहित कई लोग शामिल रहे। उक्रांत नेत्री प्रमिला रावत, पूर्व आईएएस एसएस पांगती, पूर्व सैनिक संगठन के पीसी थपलियाल ने भी प्रेस क्लब पहुंचकर पीड़ित परिवार को समर्थन दिया। https://sarthakpahal.com/