बीवियों के बीच पति का बंटवारा, तीन दिन ‘इसके’, चार दिन ‘उसके’, दोनों बीवियां राजी

लखनऊ। लखनऊ पारिवारिक अदालत में बीवियों के बीच पति का बंटवारा हुआ। तीन दिन ‘इसके’, चार दिन ‘उसके’ वाला मामला निपटा। रिश्तों की भी अजब-गजब कहानी है। पारिवारिक न्यायालय में दर्ज होने वाले तलाक के एक मामले को लेकर वकील भी भौंचक्क रह गए, जब वादी-प्रतिवादी सुलह की अर्जी लेकर अदालत में चले आए। दो पत्नियों और एक पति के बीच का विवाद तलाक के मुकदमे के साथ पारिवारिक न्यायालय लखनऊ तक पहुंचा। पारिवारिक न्यायालय में इन दिनों इस समझौता की खूब चर्चा है। अधिवक्ताओं को कहते सुना जा रहा है कि मियां बीबी राजी तो क्या करेगा काजी। हालांकि यहां मामला दो बीबियों का है।
2016 से दोनों अलग हुए, युवक ने प्रेम विवाह रचाया और दोनों ने मिलकर अदालत में पहली पत्नी से तलाक का मुकदमा दायर कर दिया। दूसरी पत्नी से एक संतान है। अधिवक्ता दिव्या मिश्रा का कहना है कि 2018 में ये वाद दाखिल हुआ। बीच में कोरोना के कारण सुनवाई टलती चली गई। कोरोना के बाद दोनों पक्ष आए तो एक समझौते पर राजी हो गए। समझौता पत्र व हलफनामा दाखिल कर दिया गया, जिस पर अदालत ने 28 मार्च को वाद निरस्त करने का फैसला सुनाया।
दिनों का किया बंटवारा, त्योहारों पर कोई टोका-टोकी नहीं
समझौता पत्र के मुताबिक, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को पहली पत्नी के साथ पति के रहने पर सहमति बनी। जबकि शेष 4 दिन दूसरी पत्नी के साथ रहने पर सहमति बनी है। साथ ही ये भी तय हुआ है कि तीज-त्योहार अपवाद या किसी अन्य अवसर पर वो किसी एक पत्नी के साथ मौजूद रह सकता है, जिस पर किसी को आपत्ति नहीं होगी। साथ ही चल-अचल संपत्ति पर दोनों का समान हक होगा। इसके अलावा 15 हजार रुपये भरण पोषण के लिए पहली पत्नी को पति देगा। https://sarthakpahal.com/
धारा 494 में एक से ज्यादा पत्नियों का रहना अपराध है
भारतीय दंड संहिता की धारा 494 और हिंदू विवाह अधिनियम के तहत जो कोई भी पति या पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी स्थिति में विवाह करेगा जिसमें पति या पत्नी के जीवनकाल में विवाह करना अमान्य होता है, तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है और साथ ही आर्थिक दंड से दंडित किया जाएगा।