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प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’, सरकारी किताबों में अब भी त्रिवेंद्र सरकार

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देहरादून। प्रदेश की सरकारी शिक्षा व्यवस्था का क्या हाल है, इसकी बानगी इसी से पता चल जायेगी कि हमारे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों को अभी ये भी पता नहीं कि हमारे मुख्यमंत्री कौन हैं। दरअसल, इसमें उन मासूमों का दोष नहीं, दोषी है हमारी शिक्षा व्यवस्था को चलाने वाले और बड़े बड़े पदों पर आसीन नौकरशाह। उनकी आंखों पर तो पट्टी जो बंधी पड़ी है। बच्चों को तो जो पढ़ाया जायेगा, वही जवाब देंंगे। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री मोदी पूरे देश में एक शिक्षा नीति लागू करने का जो सपने देख रहे हैं, उन पर पंख कैसे लगेंगे, इसे सोचने के लिए रसातल में जाना पड़ेगा।

त्रिवेंद्र सरकार को गये दो साल होने वाले हैं। उसके बाद तीरथ सरकार आई, फिर पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया गया और इस समय भी पुष्कर सिंह धामी ही प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, जिनका कार्यकाल साल भर से भी ऊपर हो गया है। सरकारी स्कूलों के बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के साथ दी जाने वाली आनन्दिनी के नाम से जो किताब उपलब्ध कराई गई है, उसके अनुसार प्रदेश में अब भी त्रिवेंद्र सरकार चल रही है।

आनन्दिनी किताब में मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेंद्र सिंह रावत, शिक्षा मंत्री के रूप में अरविंद पांडे और शिक्षा सचिव के रूप में आर मीनाक्षी सुंदरम का फोटो के साथ संदेश छपा है, जबकि त्रिवेंद्र सरकार को गये वर्षों हो गये। इस समय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत और शिक्षा सचिव रविनाथ रमन हैं।

आलाधिकारी दे रहे अटपटे जवाब
अधिकारियों का कहना है छठी से आठवीं तक के बच्चों को दी जाने वाली आनन्दिनी इस साल अभी तक प्रकाशित नहीं हुई है, जिस पुस्तक की बात की जा रही है, वह पिछले वर्ष की हो सकती है। लेकिन बता दें कि पिछले वर्ष भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, शिक्षा मंत्री धनसिंह रावत और शिक्षा सचिव रविनाथ रमन ही थे। इसके पीछे विभागीय अधिकारियों का तर्क गले नहीं उतर रहा है।

हमारी शिक्षा व्यवस्था जिन हुक्मरानों के अधीन है उन्हें इन सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले नौनिहालों से कोई मतलब नहीं, उनका भविष्य बने या चौपट हो, क्योंकि उनके बच्चे तो इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ते हैं। अधिकारियों ने इस संबंध में जो तर्क दिये उनके कुछ अंश नीचे दिये जा रहे हैं। https://sarthakpahal.com/

आनन्दिनी हर साल के लिए छापी जाती है, इस साल आठवीं कक्षा के लिए इसे छापना है, एनसीईआरटी इसका पाठ्यक्रम तैयार करता है, जबकि डायट इसे छपवाते हैं। स्कूलों को जो किताब दी गई है वह पिछले वर्ष की हो सकती है।
राकेश चंद्र जुगरान, प्राचार्य डायट देहरादून

कुछ जिलों से ही इन किताबों को छपवाया गया है, मामले को दिखाया जाएगा। अगर वास्तव में ऐसा है तो किताबों को संशोधित करवाकर ठीक कराया जाएगा।
सीमा जौनसारी, शिक्षा निदेशक

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