
सूरत। सूरत के सामूहिक खुदकुशी मामले में एक सुसाइड लेटर मिला है। मृतक मनीष भाई सोलंकी (37 साल) की लाश के पास से मिले इस नोट में लिखा है कि हमने सबके साथ भलाई की है, लेकिन दूसरों ने हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया। मैं मेरे दिन किस प्रकार से बिता रहा हूं, यह मेरा मन ही जानता है। मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों और मेरे मम्मी-पापा कैसे जीवन जिएंगे, वो मेरे बिना रह नहीं सकते।
क्या है पूरा मामला?
सूरत के अडाजन इलाके में शनिवार सुबह एक साथ एक ही परिवार के 7 लोगों की मौत होने से मातम पसरा गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर देखा कि सिद्धेश्वर अपार्टमेंट की पहली मंजिले पर रहने वाले कनुभाई सोलंकी का पूरा परिवार मौत की नींद सो रहा था। कनुभाई का बेटा मनीष उर्फ शान्तु सोलंकी फांसी के फंदे पर लटका हुआ था। जबकि कनुभाई और उनकी पत्नी शोभनाबेन समेत मनीष की पत्नी रीटा, दोनों बेटियां दिशा और काव्या व बेटा कुशल का शव बिस्तर पर पड़ा मिला।
इस घटना के बाद पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर खुद मौका-ए-वारदात पर पहुंचे थे। मुआयना करने के बाद कमिश्नर ने बताया कि मनीष सोलंकी ने फांसी लगाकर खुदकुशी की है, जबकि बाकी लोगों की मौत जहर खाने से हुई है। घर से एक जहर की शीशी मिली है। मामले में फोरेंसिक एक्पर्ट्स से जांच कराई जा रही है। पुलिस कमिश्नर अजय कुमार तोमर ने कहा कि मृतक मनीष भाई सोलंकी (37 साल) की लाश के पास से एक सुसाइड लेटर भी बरामद हुआ है। इसमें लिखा है कि हमने सबके साथ भलाई की है, लेकिन दूसरों ने हमारे साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया। https://sarthakpahal.com/
मृतक मनीष सोलंकी का लिखा सुसाइड लेटर
”मैं मेरे दिन किस प्रकार से बिता रहा हूं, यह मेरा मन ही जानता है। मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों और मेरे मम्मी-पापा कैसे जीवन जिएंगे, वह मेरे बिना रह नहीं सकते। इसकी मुझे चिंता सता रही है। इस पत्र के लिखने के पीछे कोई निजी कारण जाहिर हो सकते हैं। लेकिन उनका यहां नाम लेना नहीं चाहता हूं। जीवित रहते हुए हैरान नहीं किया तो मरने के बाद किसी को हैरान नहीं करना चाहता। भलमनसाहत और दयालु स्वभाव मुझे हैरान कर गया। रुपए लेने के बाद भी कोई वापस नहीं देता। उपकार के बदले में कोई दिया हुआ वापस नहीं देता। मैंने जिंदगी में बहुत लोगों की मदद की है। मेरे बच्चे और मम्मी-पापा की चिंता लगातार मुझे मार डाल रही है। रीता बेन अपना ध्यान रखना। घनश्याम भाई, मुन्ना भाई, बाड़ा भाई तथा रीता बेन का ध्यान रखना। जाने-अनजाने में जीवन में कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ करना। हमारी मौत के कारण के जवाबदारी व्यक्तियों के नाम नहीं लिखना है और कुदरत जरूर चमत्कार दिखाएगी। वह कभी सुखी नहीं हो सकते। मैंने जीवन में किसी को हैरान नहीं किया और मरने के बाद किसी को हैरान नहीं करूंगा।”