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हवालदार की पत्नी और गढ़वाल की बेटी सुषमा खर्कवाल लखनऊ की नई ‘कमांडर’

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कोटद्वार। कोटद्वार गढ़वाल निवासी सुषमा खर्कवाल ने लखनऊ के मेयर का चुनाव जीत लिया है। उन्होंने सपा प्रत्याशी वंदना मिश्रा को 60 हजार वोटों से मात दी। अब वह लखनऊ की मेयर होंगी। सुषमा को राजनीति विरासत में नहीं मिली। उन्होंने अपने आपको खुद इस मुकाम तक पहुंचाया। सुषमा खर्कवाल की शादी 1984 में दुगड्डा के कलढुंगा निवासी प्रेमलाल खर्कवाल के साथ हुई। उनका परिवार लंबे समय से लखनऊ में ही रह रहा है।

कोटद्वार भाबर में जश्न का माहौल


कोटद्वार भाबर में उनके रिश्तेदारों में जश्न का माहौल है। वर्तमान में उनके मायके के लोग कोटद्वार के हल्दूखाता भाबर में निवास कर रहे हैं। उनके भाई विनोद भट्ट भी लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। गढ़वाल की बेटी सुषमा खर्कवाल के यूपी की राजधानी लखनऊ की मेयर निर्वाचित होने से उनके मायके और ससुराल में खुशी की लहर है। पिता गोविंदराम भट्ट और माता का निधन हो चुका है। सुषमा तीन बहनों में सबसे छोटी हैं। एक भाई विनोद इन दिनों चुनाव प्रचार के सिलसिले में लखनऊ में ही हैं। उनके निर्वाचन से यमकेश्वर के भट्टगांव, दुगड्डा के कलढुंगा स्थित ससुराल और कोटद्वार भाबर में खुशी की लहर है। उनके मेयर बनने से दुगड्डा के पूर्व ब्लाक प्रमुख वरिष्ठ भाजपा नेता भुवनेश खर्कवाल, पूर्व पार्षद हरीश खर्कवाल, सतीश गौड़ समेत कई लोगों ने खुशी जताई है। कहा कि सुषमा खर्कवाल ने गढ़वाल का नाम रोशन कर दिया है।

अटल की रैलियों में सबसे आगे रहता था सुषमा का स्कूटर
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी बाजपेयी की सभाओं और रैलियों में सुषमा का स्कूटर सबसे आगे रहता था। खुद सुषमा कहती हैं कि अटल जी का लखनऊ में कोई भी ऐसा रोड शो या रैली नहीं होगी, जहां वह नहीं गयी हों। वह बताती हैं कि अटल जी उन्हें बहुत प्यार करते थे। वे वर्तमान में उत्तर प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की सदस्य हैं। वे लगभग 30 साल से पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता की भूमिका निभा रही हैं। वे पूर्व में महिला मोर्चा की प्रदेश मंत्री, पर्वतीय महासभा की राष्ट्रीय प्रभारी, सैनिक कल्याण बोर्ड की सदस्य, आर्मी वेलफेयर हाउसिंग आर्गेनाइजेशन की संयुक्त सचिव और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान भाजपा अवध क्षेत्र की संयोजक भी रह चुकी हैं। https://sarthakpahal.com/

गढ़वाल विवि श्रीनगर की स्नातक हैं सुषमा खर्कवाल
सुषमा ने स्नातक की पढ़ाई उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय से की है। उनके परिवार में दो बेटे हैं। बड़ा बेटा मयंक फिलिप्स कंपनी में जबकि छोटा बेटा मनीष इंजीनियर है। वह बताती हैं कि उत्तराखंड बंटवारे के बाद भगत सिंह कोश्यारी ने उनसे उत्तराखंड चलने को कहा था, लेकिन वह नहीं गयीं। उनके पति सेना में हवलदार पद से रिटायर हुए थे। उसके बाद वे विधानसभा में सहायक मार्शल के पद पर तैनात थे, जो कि पिछले साल ही रिटायर हुए हैं।

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