हिंदी को हल्के में लेना पड़ा भारी, उत्तराखंड बोर्ड के 9,699 विद्यार्थी हिंदी में हुए फेल
रामनगर (नैनीताल)। हिंदी को हल्के में लेना उत्तराखंड बोर्ड के विद्यार्थियों को भारी पड़ा गया। इस साल हाईस्कूल और इंटरमीडियट दोनों में मिलाकर कुल 9,699 विद्यार्थी फेल हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि छात्रों में हिंदी विषय के प्रति रुचि कम हो गई है। आम बोलचाल और राजभाषा होने के कारण हिंदी विषय को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है, जबकि हिंदी विषय में पास होना अनिवार्य होता है। इसी का नतीजा है कि इस बार हजारों बोर्ड परीक्षार्थियों को हिंदी भारी पड़ गयी। हाईस्कूल और इंटर में कुल मिलाकर 9,699 छात्र हिंदी विषय में फेल हुए हैं। इनमें हाईस्कूल में 3,263 छात्र और 1,721 छात्राएं जबकि इंटरमीडिएट में 2,923 छात्र और 1,792 छात्राएं हैं।
हिंदी में फेल हुए तो ग्रेस भी नहीं मिलता
विशेषज्ञों का कहना है कि हिंदी विषय में छात्रों का रुझान कम हो रहा है। आम बोलचाल और राजभाषा होने के कारण हिंदी विषय को गंभीरता से नहीं लेते हैं। हिंदी विषय में पास होना अनिवार्य होता है। यदि कोई छात्र हिंदी में फेल हो गया, जबकि अन्य सभी विषयों में बहुत अच्छे नंबर हैं तो भी उसे फेल ही माना जायेगा, क्योंकि हिंदी में 33 प्रतिशत अंक लाना जरूरी है। हिंदी में कोई ग्रेस भी नहीं मिलता है। इसलिए हिंदी को हल्के में लेने की भूल नहीं करनी चाहिए।
सबसे अधिक पासिंग प्रतिशत एग्रीकल्चर का रहा
इस साल हाईस्कूल में हिंदी विषय में 1,26,192 छात्रों ने परीक्षा दी थी जिनमें 12,4208 छात्र पास हुए जबकि 4,984 छात्र फेल हो गए। इंटरमीडिएट में 1,23,009 छात्रों ने परीक्षा दी थी। इनमें 1,18,294 पास हुए और 4,715 परीक्षार्थी फेल हो गए। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट में हिंदी विषय में 6,186 छात्र और 3,513 छात्राएं फेल हुई। इस तरह देखा जाए तो हाईस्कूल में हिंदी विषय में 96.14 प्रतिशत बच्चे पास हुए, जबकि इंटरमीडिएट में हिंदी विषय में पास होने का प्रतिशत 96.16 रहा। सबसे अधिक एग्रीकल्चर विषय का प्रतिशत रहा। हाईस्कूल में जहां 98.59 प्रतिशत बच्चे पास हुए, तो वहीं इंटरमीडिएट में 98.18 प्रतिशत बच्चे पास हुए।