उत्तराखंडदेश-विदेशपर्यटनबड़ी खबरयूथ कार्नरशिक्षासामाजिक

नीलकंठ, टपकेश्वर समेत प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में महिला/पुरुष दोनों के लिए लागू होगा ड्रेस कोड

Listen to this article

देहरादून। उत्तराखंड के कई प्रसिद्ध मंदिरों में महिला और पुरुष दोनों के लिए ड्रेस कोड लागू कर दिया गया है। हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून समेत प्रदेश से सभी मंदिरों में अमर्यादित कपड़े पहनकर न आने की सूचना चस्पा कर दी जायेगी। संभावना है कि प्रदेश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में ड्रेस कोड सख्ती से लागू कर दिया जायेगा। संतों-संन्यासियों के बड़े संगठन निर्वाणी अखाड़े ने इस बारे में अहम फैसला लिया है।

प्राचीन दक्ष मंदिर से हो चुकी है शुरुआत
हरिद्वार के प्राचीन दक्ष मंदिर में ड्रेस कोड की शुरुआत हो चुकी है। नीलकंठ मंदिर में भी अब महिलाएं स्कर्ट और छोटे कपड़े पहनकर प्रवेश नहीं कर पाएंगी। श्री टपकेश्वर मंदिर और श्री पृथ्वीनाथ मंदिर, देहरादून समेत उत्तराखंड के प्रसिद्ध मंदिरों में अमर्यादित कपड़े पहनकर महिला और पुरुष दोनों के लिए प्रवेश करना मुश्किल होगा। दरअसल काफी समय से मंदिर और धार्मिक स्थलों में छोटे कपड़े पहनकर आने वाले श्रद्धालुओं को लेकर आपत्तियां उठ रहीं थीं। https://sarthakpahal.com/

हमारे मंदिर व तीर्थस्थल मौज-मस्ती के स्थल नहीं हैं। मंदिरों में परिधान मर्यादित होना चाहिए। श्रद्धालुओं ने भी मंदिरों में अमर्यादित कपड़ों का मुद्दा उठाया था। इसमें किसे के प्रति द्वेष और क्रोध की भावना नहीं है। ड्रेस कोड को कट्टरता कतई न समझें। यह सनातन धर्म के मर्म को कायम रखने का प्रयास मात्र है। मंदिरों में ड्रेस कोड सख्ती से लागू किया जायेगा।
श्री महंत श्री रविंद्र पुरी जी महाराज, सचिव महानिर्वाणी अखाड़ा व श्रीमहंत श्री पृथ्वीनाथ मंदिर

हम सब निर्वाणी अखाड़े का हिस्सा हैं। हमारे मार्गदर्शक श्री रविंद्र पुरी जी महाराज ने मंदिरों में अमर्यादित कपड़ों पर जो कदम उठाया है हम सभी उनके पीछे खड़े हैं। हम सनातन धर्म की रक्षा और संस्कृति के संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्ध हैं। मंदिरों में किसी भी तरह का अमर्यादित आचरण बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। श्री टपकेश्वर मंदिर की भी अपनी गरिमा है। ड्रेस कोड से संबंधित सूचना मंदिर में चस्पा कर दी गयी है। जिसे इसमें आपत्ति हो तो वो मंदिर के बाहर से ही दर्शन कर जा सकते हैं।
श्री कृष्णगिरी जी महाराज, महंत, श्री टपकेश्वर मंदिर, देहरादून

सभी को यह समझना चाहिए कि पर्यटक और तीर्थस्थलों में फर्क है। हमारे मंदिर और तीर्थस्थल हमारी संस्कृति, सभ्यता और धर्म के जीवंत स्थल हैं। जनसमूह को परिधान और आचरण में मर्यादा रखनी होगी। संतों का परिधान संबंधी जो निर्णय लिया गया है वह पूरी तरह उचित है। कपड़े शालीन और गरिमायुक्त होने चाहिए। मंदिरों के अलावा धार्मिक स्थलों की गरिमा को भी कायम रखना हम सभी का दायित्व है।
अजेंद्र अजय, अध्यक्ष बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button