नई दिल्ली। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार की शाम भीषण ट्रेन हादसा हो गया, जिसमें तीन ट्रेन आपस में टकरा गई। इस रेल हादसे में अब तक सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। घायलों को फिलहाल, अस्पताल में इलाज चल रहा है।
सरकार ने किया मुआवजे का ऐलान
इस हादसे के बाद पीएमओ की तरफ से मृतकों के परिवार को दो-दो लाख और घायल लोगों को 50-50 हजार रुपये दिए जाएंगे। इसके अलावा, जान गंवाने वालों के परिजनों को रेल मंत्रालय की ओर से 10-10 लाख, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख और मामूली चोटिलों को 50,000 रुपये की सहायता राशि मिलेगी। कई राज्यों की सरकारों ने भी रेल हादसे में घायल और मृतकों को मुआवजा देने की घोषणा की है।
रेलवे अधिनियम 1989 के अध्याय 13 में साफ तौर पर लिखा है कि यदि जब ट्रेन में काम करते समय कोई दुर्घटना होती है, जब यात्रियों को ले जा रही ट्रेन पटरी से उतर जाती है, तो ऐसी परिस्थिति में यात्रियों को बीमा राशि दिया जाता है। इसके अलावा, यदि दो ट्रेनों के बीच टक्कर होने के कारण यात्री या आसपास मौजूद लोग इसका शिकार हो जाते हैं, तो राशि की मांग कर सकते हैं। यदि यात्रा के दौरान ट्रेन पर किसी तरह का आतंकवादी हमला होता है और यात्री को किसी तरह का नुकसान होता है, तो भी वो बीमा कवर के लिए पैसे क्लैम कर सकता है। https://sarthakpahal.com/
रेलवे विभाग का ट्रैवल इंश्योरेंस है काफी फायदेमंद
बता दें कि रेल हादसे में शिकार होने पर रेलवे विभाग बीमा कवर देता है। रेलवे की इस सुविधा को रेलवे ट्रैवल इंश्योरेंस कहते हैं। ध्यान रहे कि टिकट बुकिंग कराते समय यदि यात्री ने बीमा के ऑप्शन का चयन किया है, तो ही बीमा के पैसे दिए जाते हैं। बीमा के लिए अप्लाई करते समय Nominee का नाम देना होता है।
इन स्थितियों में मिलती है बीमा राशि
यदि रेल हादसे के दौरान घायल होने के बाद किसी यात्री की आंखों की रोशनी या सुनने की क्षमता चली जाए, तो ऐसे में उसे 8 लाख रुपये का मुआवजा मिलता है। अगर हादसे में शरीर का कोई अंग विकृत हो जाता है, तो ऐसी परिस्थिति में भी घायल को आठ लाख रुपये देने का प्रावधान है। इसके अलावा यात्री की चोट की गंभीरता को देखते हुए 32,000 रुपये से 8 लाख तक का मुआवजा दिया जाता है। इसके अलावा घायलों को अस्पताल में इलाज के लिए 2 लाख रुपये की मदद दी जाती है।
इस प्रक्रिया के जरिए प्राप्त कर सकते हैं बीमा राशि
रेल अधिनियम, 1989 की धारा 125 के तहत पीड़ित या मृतक के परिजनों को बीमा राशि के लिए आरसीटी में आवेदन करना होगा।
ट्रेन दुर्घटना के तुरंत बाद, संबंधित आरसीटी बेंच को रिकॉर्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि वह समय रहते यात्री से जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर सके और समय पर हादसे से जुड़ी चीजों का पता लगा सके।
आरसीटी की ओर से रेलवे को नोटिस भेजे जाने के 15 दिन के अंदर ही जवाब देना होता है।
आवेदन करते समय आवेदक को इस बात का ध्यान रखना होता है कि उसे अपना निवास स्थान, वह स्थान जहां यात्री ने टिकट खरीदा हो या वह स्थान जहां दुर्घटना हुई हो, उसका उल्लेख करना होता है।
भारतीय रेलवे की वेबसाइट www.indianrailways.gov.in में दुर्घटना के संबंध में मुआवजे के दावों के संबंध में नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लेख किया गया है। यहां से देख सकते हैं कि आप किस मामले में आवेदन करना चाहते हैं और उसकी लीगल प्रक्रिया क्या है।