ऋषिकेश। परिवार पर बेटे की मौत का दुखों का पहाड़ टूटने के बावजूद भी एक पिता ने समाज के सामने अपने बेटे का नेत्रदान कराकर एक मिसाल पेश की है। अब उनके बेटे की आंखों से दो लोग दुनिया देख सकेंगे। बता दें कि ऋषिकेश के 13 साल के किशोर ने आत्महत्या कर ली थी। अब उनके पिता ने गमगीन माहौल और दुख की घड़ी में बेटे का नेत्रदान कराया है।
18 सितम्बर को कर पंखे से लटका मिला था 8वीं का छात्र
दरअसल, बीती 18 सितंबर को को ऋषिकेश के गंगा नगर के हनुमंत पुरम में रहने वाले छात्र सिद्धार्थ (उम्र 13 वर्ष) ने आत्महत्या कर ली थी। दरअसल, वह स्कूल से छुट्टी होने के बाद घर पहुंचा। वह ट्यूशन जाने से मना करने के बाद टीवी देखने लगा। जब पिताजी ने ट्यूशन न जाने के लिए बेटे को डांटा तो वह नाराज होकर अपने कमरे में चला गया, जहां उसने पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली थी।
अब सिद्धार्थ के पिता रघुबीर सिंह ने बेटे का नेत्रदान कराया है। एम्स ऋषिकेश के चिकित्सा अधीक्षक एवं नेत्र रोग विभागाध्यक्ष संजीव कुमार मित्तल ने बताया कि सिद्धार्थ के परिजनों ने आई बैंक एम्स से संपर्क साधकर अपने दिवंगत बेटे का नेत्रदान कराया है, जो सराहनीय कदम है। https://www.facebook.com/Sarthak_Pahal-101257265694407/
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक मीनू सिंह ने नेत्रदान जैसे महादान के इस संकल्प के लिए परिजनों की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे अन्य लोगों को भी नेत्रदान के संकल्प की प्रेरणा लेनी चाहिए। साथ ही उन्होंने ऋषिकेश आई बैंक की ओर से 702 का आंकड़ा पार करने पर सराहना की। वहीं, नेत्रदान की प्रतिज्ञा के लिए क्यूआर कोड को जेनरेट कर इस सुविधा का शुभारंभ किया।